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दौसा-श्रीराम अयोध्या आयेंगे, विश्वभर में हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव मनेगा।

वीरधरा न्यूज। लालसोट @श्री महेश कुमार गुप्ता।


दौसा। वृंदावन धाम स्थित श्री लाडली निकुंजवन, श्री आनंदम धाम पीठ के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत परमपूज्य सद्गुरु ऋतेश्वर महाराज सोमवार को मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर श्रीराम नगरी अयोध्या से जयपुर जाते समय जिला प्रेस क्लब दौसा में आयोजित प्रेसवार्ता के माध्यम से प्रेस – मीडिया से सीधे रूबरू हुए। सदगुरु ऋतेश्वर महाराज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र पर इस समय देश के विभिन्न क्षेत्रों में की जा रही अमर्यादित टिप्पणियों को लेकर मुखर होते हुए खुलकर बोले। जिला प्रेस क्लब दौसा में प्रेस – मीडिया प्रतिनिधियों से मुखातिब होते हुए बोले कि भगवान श्रीराम को 492 वर्ष पश्चात देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बाद तंबू से घर नसीब हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें कई संतों, राष्ट्रवादियों, नेताओं, सनातनी युवाओं का बड़ा योगदान है। आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर में भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भारत देश में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में एक उत्सव के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो भगवान श्रीराम, श्रीराम प्रेमियों और राष्ट्रवादियों पर अमर्यादित टिप्पणियां करने से कतई बाज नहीं आ रहे हैं। यद्यपि किसी भी मनुष्य द्वारा की गई टिप्पणी उसके संस्कारों की परिचायक होती है। सदगुरु रितेश्वर महाराजश्री ने कहा कि 492 वर्ष के लंबे कालखंड के बाद भगवान श्रीराम के नाम पर पूरा राष्ट्र एक बार फिर से संगठित हुआ है, एकरूप हुआ है। इस देश के 145 करोड़ लोग जो सनातनी हैं चाहे उनकी पूजा या उपासना पद्धति भले ही अलग-अलग है मगर उन सबके पूर्वज एक हैं। दौसा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सदगुरु ऋतेश्वर जी ने कहा कि कुछ लोग हमारे भगवान श्रीराम पर इस तरह की आधारहीन और अभद्र टिप्पणियाँ कर रहे हैं। आज की दुनिया में जहां हम रामोत्सव के आयोजन से खुश हैं और भगवान श्रीराम की घर वापसी का खुशीपूर्वक जश्न मना रहे हैं। जब भगवान श्रीराम को अयोध्या धाम में स्थापित किया जा रहा है, पूरी दुनिया खुश है, लेकिन फिर भी नैतिक रूप से अस्थिर लोगों का एक संप्रदाय है जो जाने-अनजाने भगवान राम की छवि को धूमिल कर रहा है। वे अपने छोटे-छोटे निजी लाभ या स्वार्थ के लिए
निराधार तथ्य बेच रहे हैं, हमें इसकी चिंता नहीं है कि कौन क्या कह रहा है और वे कहां कह रहे हैं, हमारी चिंता ऐसे तथ्यहीन मिथक और आधारहीन अफवाह के खतरनाक प्रभाव और परिणाम को लेकर है। सैकड़ो वर्षों से भगवान श्रीरामचंद्र के भक्त इंतजार कर रहे थे। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर 492 वर्ष लगे हैं, लेकिन अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा नगरी और भगवान शिव की मोक्षनगरी काशी में 492 दिन भी नहीं लगेंगे।
इस मौके पर उन्होंने हिंदू संस्कृति व सनातन धर्म की संरक्षण की भी बात कही। ऋतेश्वर महाराज ने प्रेसवार्ता के दौरान देश की शिक्षा पद्धति पर भी जमकर निशाना साधा। मैकाले की शिक्षा पद्धति में पढ़े-लिखे लोग अपनी भाषा, लिपि, सनातनी संस्कृति तक को खो चुके हैं। इसमें उनका दोष नहीं है जैसी पढ़ाई और शिक्षा उनको मिली है वो वैसा ही बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लिट्रेसी और एजुकेशन में बड़ा अंतर है। आदमी लिट्रेट भले ही हो सकता है पर यह कोई जरूरी नहीं है वह एजुकेटेड भी हो। उदाहरण देते हुए वे बोले कि रावण बड़ा ही लिट्रेट व्यक्ति था मगर वह एजुकेटेड नहीं था। ये अमर्यादित टिप्पणियां करने वाले इस तरह का कार्य इसलिए करते हैं ताकि विश्व पटल पर विश्वगुरु कहाए जाने वाले भारत देश की छवि धूमिल हो। ऋतेश्वर महाराज ने कहा देश में एक बार पुनः गुरुकुल पद्धति की शिक्षा के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। बहुत जल्द भारत में सनातन विद्या पीठ और सनातन विद्या बोर्ड की स्थापना होने वाली है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में 1000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण भी कर लिया गया है। भारत में ही विश्व का सबसे बड़ा सनातन विश्व विद्यालय यहां बनने जा रहा है। इस दौरान राजस्थान लोकसेवा आयोग के पूर्व सदस्य विनोद बिहारी शर्मा, सदगुरु के स्नेही शिष्य रोहित शर्मा चायवालाज, संयुक्त कर्मचारी महासंघ नेता भगवान वर्मा, डॉ. मनीष पहाड़िया, गौड़ सनाढ्य ब्राह्मण सभा के पूर्व जिला महामंत्री देवेन्द्र गुमानपुरा, अशोक भागोती, रोहित डंगायच, अरविन्द शर्मा आदि मौजूद रहे।

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