वीरधरा न्यूज़। गंगरार@ कमलेश सालवी।
चित्तौड़गढ़। मेवाड़ यूनिवर्सिटी में रविवार को महात्मा गांधी के रंग में रंग गई। यूनिवर्सिटी कैंपस में जनसत्ता अखबार के संस्थापक संपादक स्वर्गीय प्रभाष जोशी की स्मृति में प्रभाष प्रसंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें शिरकत करने आए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गांधी म्यूजियम का अवलोकन कर भूरि-भूरि प्रषंसा की। इसके बाद उन्होंने महाराणा प्रताप हॉल में आयोजित हुए स्मारक व्याख्यान में ‘गांधी के विचारों की प्रासंगिकता आधुनिक काल में’, विषय पर बोलते हुए पत्रकारिता, गांधी दर्षन, प्रभाष जोशी के विचार और भारतीय सनातन परम्परा से संबंधित विचार रखें। उन्होंने कहा कि प्रभाष जोशी ऐसा व्यक्तित्व था जिन्होंने साहित्यिक भाषा से अलग हटकर आम जन की भाषा को महत्व दिया। उसी का परिणाम है कि आज अधिकतर समाचार पत्र-पत्रिकाओं में आम भाषा को प्राथमिकता दी जाती है। स्मारक व्याख्यान में आगे बोलते हुए उन्होंने एक विदेशी पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व में भारत और सनातन परम्परा ही गांधी को जन्म दे सकती है, ऐसा ओर कोई देश नहीं है। देश में कोई भी शासन करें लेकिन हमे अपने भारतीय आदर्शो और सनातन परम्परा के मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने गांधी संग्रहालय की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए मेवाड़ यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. अशोक कुमार गदिया के प्रयास की सराहना की। कुलाधिपति को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि वे जिस प्रकार युवाओं को गांधी के विचारों और सिद्धांतों से जोड़ रहे है उससे आने वाली पीढ़ी बहुत कुछ सीखेेगी। इस स्मारक व्याख्यान की अध्यक्षता माधवराव संप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं षोध संस्थान के संस्थापक और पदमश्री विजयदत्त श्रीधर ने की। इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद सभी अतिथियों ने विनोबा भावे पुस्तक का भी लोकापर्ण किया।
इससे पूर्व कार्यक्रम में प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए सांसद वीरेंद्र सिंह ने अपने उद्बोधन में युवाओं से आह्वान किया कि वह जीवन में तभी सफल हो सकते हैं जब वे गांधीजी के सिद्धांतों को आत्मसात करें। पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाष जोशी जी एक स्तंभ थे, जिन्होंने महात्मा गांधी के विचारों को जीवन भर आगे बढ़ाने का कार्य किया। प्रभाष जी सदैव किसानों, कृषि और निचले तबके के लोगों की उत्थान की बात करते थे, जिनका विकास उच्च स्तर पर नहीं हुआ, जिस स्तर पर आजादी के 75 वर्ष बाद तक होना चाहिए था। कोरोना काल में जहां एक ओर सभी क्षेत्रों में गिरावट थी वहां कृषि एकमात्र ही ऐसा क्षेत्र था जिसमें तेजी से विकास हो रहा था। इसलिए कृषि क्षेत्र पर खास ध्यान देने की जरूरत है। इस मौके पर उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण, विनोबा भावे समेत कई समाज सुधारको के योगदान को भी याद किया।
वहीं पूर्व सांसद महेष चंद्र शर्मा ने कहा कि प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय में युवा अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति से रूबरू होंगे क्योंकि वर्तमान में जिस प्रकार भौतिकता हावी हो रही है उसमें हम अपनी संस्कृति से अलग होते जा रहे हैं। हमें सात्विक विचारों को अपनाना चाहिए ताकि हमारा मन और विचार दोनों समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित हो। उन्होंने भीलवाड़ा की एक संस्था गौमित्र संघ द्वारा गौ माता के हित में किए जा रहे कार्य की प्रशंसा की और अन्य सामाजिक संगठनों को भी ऐसा कार्य करने के लिए आह्वान किया। कार्यक्रम में प्रभाष परंपरा न्यास प्रबंध न्यासी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पदमश्री रामबहादुर राय ने भी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाष जोषी की यात्रा पर प्रकाष ड़ाला और युवा को गांधी जी के विचारों और उनके बताए गए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर अतिथियों ने ब्लैक बोर्ड पर अपने हस्ताक्षर करके गांधी जी को याद किया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोक कलाकार प्रहलाद सिंह टिपानिया का कबीर गायन और भीलवाडा से आई रसधारा सांस्कृतिक संस्था के संरक्षक लक्ष्मी नारायण डाड के निर्देशन में महात्मा गांधी के भजनों रघुपति राघव राजा राम..वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाने रे….. आदि गीतों का इतना सुंदर ढंग से गायन किया कि वहां मौजूद सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। कार्यक्रम में अंत यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. अषोक कुमार गदिया ने कार्यक्रम मे आए सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, इंदौर, जयपुर आदि स्थानों से पहुंचकर बड़ी संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया। इस मौके पर स्वर्गीय प्रभाष जोषी की पत्नी उषा जोषी, म्यूजियम की महानिदेषिका डॉ. चित्रलेखा सिंह, वाइंस चांसलर डॉ. आलोक कुमार मिश्रा, प्रो. वीसी आनंद वर्धन शुक्ल आदि समेत समस्त फैकल्टी और स्टाफ मौजूद रहा।
प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय की खासियत
संग्रहालय ऐसी जगह है, जो इतिहास और पुरातन संस्कृति से वर्तमान पीढ़ी को जोड़ता है। कुछ ऐसे ही भारत के गौरवशाली इतिहास और धरोहरों को संजोए हुए है मेवाड़ यूनिवर्सिटी का ‘प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय’। यहां जो वस्तुएं रखी हैं, उनमें गांधी जी के जीवन आधारित अनेक घटनाओं की जानकारी मिलती है। इस संग्रहालय की महानिदेशिका डॉ. चित्रलेखा सिंह ने बताया कि इस ‘प्रभाष जोशी स्मृति गांधी संग्रहालय’ में महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की पूरी झलक दिखाई देती है। जहां एक ओर गांधीजी को चरखा चलाते हुए देखे जा सकते है, वहीं गांधीजी की तस्वीर वाले पुराने सिक्के और मेडल भी दर्शकों को आकर्षित करते हैं। संग्रहालय में ‘द स्टेट्समेंट’ अखबार का 1948 का वह अंक भी संरक्षित करके रखा है, जिसमें महात्मा गांधी के शहीद होने की खबर छपी थी। साथ ही गांधी जी के भाषणों की कई पुरानी डिस्क भी यहां युवाओं के लिए उपलब्ध है। इन वस्तुओं के जरिये युवा वर्ग स्वतंत्रता आंदोलन के महान लोगों के जीवन से प्रेरणा ले सकते हैं। इसके अलावा मेवाड़ यूनिवर्सिटी में मेवाड़ संग्रहालय, विज्ञान संग्रहालय, स्वतंत्रता संग्राम स्वराज संग्रहालय, डिफेंस संग्रहालय, विश्व गुरु भारत संग्रहालय, स्वामी महेश योगी म्यूजियम, ज्योतिष संग्रहालय, योग संग्रहालय आदि भी बने हुए है।