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चित्तौडग़ढ़-श्रावण में शिव भक्ति करने एवं शिव पुराण सुनने से मिलती है भगवान शंकर की विशेष कृपा – संत दिग्विजय राम।

 

वीरधरा न्यूज़चित्तौडग़ढ़@श्री सत्यनारायण कुमावत।

चित्तौडग़ढ़।रामद्वारा में चल रहे चातुर्मास सत्संग अंतर्गत शिव महापुराण की कथा के संबंध में संत दिग्विजय राम ने बताया कि श्रावण के महीने में भगवान शंकर की सेवा पूजा करने का मिलता है विशेष लाभ शिव पुराण सुनने पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है शिवपुराण के प्रारंभ ग्रंथ में शिवपुराण के महत्व का वर्णन किया गया जिसमें बताया गया की पापी से पापी व्यक्ति भी अगर शिव जी की उपासना करें तो उसका उद्धार हो सकता है शिव पुराण कथा महात्म्य के अंतर्गत यह बताया गया है इसी संदर्भ में कथा प्राप्त होती हैं कि देवराज बिन्दुक और चंचुला का शिव पुराण सुनकर के उद्धार हो गया पद्म पुराण से लिए गए शिवपुराण महातम में भगवान शिव की भक्ति करने का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही आपने यह भी बताया कि राम जी और शिव जी एक दूसरे के प्रिय हैं इसलिए संतो ने अपनी वाणी में लिखा है – शिवजी निशदिन राम उचारे राम बिना दूजो नहीं धारे । भगवान शंकर भी अपने आराध्य राम जी का स्मरण करते हैं । शिव पुराण ग्रंथ में बताया गया है कि इस कलयुग में भगवान शंकर के भक्ति करके मुक्ति प्राप्त कर सकते। सावन महीने में शिव कथा सुनने से विशेष लाभ प्राप्त होता है शिव पुराण 18 पुराणों में से एक है जिसमें भगवान शिव की लीला कथाओं और इनकी पूजा विधि सहित शिवलिंग की उत्पत्ति और शिव भक्ति से संबंधित कथाएं हैं। शिव पुराण का पाठ आप कभी भी शुभ मुहूर्त में श्रवण कर सकते हैं। लेकिन सावन के महीने में शिव पुराण को पढना और सुनना बहुत ही पुण्यदायी होता है। शिव पुराण में चंचुला और उसके पति बिंदुग की कथा मिलती जिन्होंने शिव पुराण के श्रवण से शिवलोक में स्थान पाया। इन्हीं की कथाओं में शिव पुराण के महत्व का वर्णन भी मिलता है। साथ ही महर्षि व्यासजी के शिष्य सूतजी बताते हैं कि किस प्रकार से शिव पुराण का श्रवण करना चाहिए और इसे सुनने वालों को किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए।
शिव पुराण सुनने वालों के लिए जरूरी ग्रंथ में बताए गए नियम धारण करते हुए कथा श्रवण करनी चाहिए।शिव महापुराण ग्रंथ में श्रोता के लिए कुछ नियम बताए गए हैं शिव पुराण का आयोजन जब भी करें तो संभव हो तो सभी मित्रों कुटुंबों और जो भी इसे सुनने की इच्छा रखते हैं उन्हें इसकी सूचना दे दें ताकि वह भी इसके श्रवन का लाभ ले पाएं।
शिव पुराण कथा श्रवण से पहले यह संकल्प करें कि आप ध्यान पूर्वक कथा का श्रवण करेंगे और मन को शिवजी की में लगाए रखने का प्रयास करेंगे।
जब तक शिव पुराण का पाठ हर दिन समाप्त न हो जाए तब तक निराहार रहकर कथा का श्रवण करना चाहिए।
शिव पुराण श्रवण और पाठ का संकल्प लेने वाले को जब तक पूरा पाठ समाप्त न हो जाए एक समय ही भोजन करना चाहिए साथ ही भोजन सात्विक होना चाहिए।
शिव पुराण की कथा श्रवण जब तक आप सुन रहे हों। यानी जितने दिनों तक शिव पुराण की कथा चले तब तक मसूर की दाल, गाजर, बासी भोजन, हींग, लहसुन, प्याज, जला अन्न, सेम और हैवी भोजन (गरिष्ठ भोजन) नही लेवे ।
हर दिन शिव पुराण की कथा आरंभ और समाप्त होने पर शिव पुराण की पूजा करनी चाहिए
शिव पुराण की कथा से संतानहीन लोगों की गोद भी शिवजी भरते हैं। गंभीर रोगी, भाग्यहीन व्यक्ति को भी शिव पुराण की कथा से लाभ मिलता है। इसलिए भक्ति भाव और मन में श्रद्धा रखकर विश्वास के साथ शिव पुराण की कथा का श्रवण करना चाहिए। मन में अविश्वास होने पर फल की प्राप्ति नहीं होती है। यह सम्पूर्ण क्रम शिव पुराण के महात्म्य में वर्णन किया गया । रामद्वारा में चल रहे हैं शिव महापुराण की कथा में आसपास के कई क्षेत्रों के लोग कथा श्रवण का लाभ ले रहे हैं बहुत ही अच्छी संख्या में भक्त कथा श्रवण के लिए आ रहे है और सभी लोगों में शिवपुराण सुनने के प्रति बहुत उत्साह और उमंग दिखाई दे रहा है।

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