शिक्षा जरुरी है लेकिन इससे भी ज्यादा जरुरी हमारी संस्कृति और संस्कार है : राष्ट्रीय संत डॉ मिथिलेश नागर।
वीरधरा न्यूज़।चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
शम्भूपुरा। कस्बे मे चल रहें बालाजी मंदिर पर कलस स्थापना प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत राष्ट्रीय संत डॉ मिथिलेश नागर ने सुंदरकांड पाठ करवाया।
बालाजी महाराज को दीप प्रवजलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया, आयोजक राम प्रसाद जाट, बजरंग कमेटी के सदस्यों और ग्राम वासियों ने माला पहनाकर संत का स्वागत किया।
युवा वर्ग हनुमान जी के सेवा कार्यों को जीवन में आत्मसात करें तो राष्ट्र का विकास हो सकता है। आधुनिक युग में हनुमान जी को स्मरण मात्र से संकट दूर हो जाते हैं। यह उनकी स्वामी भक्ति का ही परिणाम है। सुंदरकांड का वाचन करने से आत्मा पवित्र होती है और विश्व का कल्याण होता है। यह बात श्याम बगीची शम्भूपुरा मे रामप्रसाद जाट द्वारा आयोजित संगीतमय सुंदरकांड पाठ में राष्ट्रसंत भागवत भास्कर डॉक्टर मिथिलेश नागर ने कही।
उन्होंने कहा कि पवित्र मन से सुंदरकांड का पाठ का वाचन करे तो ज्ञान के प्रज्ञा चक्षु से हनुमान जी आशीर्वाद प्रदान कर सुख समृद्धि प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय विकास के लिए महाराणा प्रताप से प्रेरणा लेकर देश सेवा अभियान में युवा वर्ग जागरूक होकर आगे बढ़े तो वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व गुरु बन कर शक्तिशाली राष्ट्र बनेगा। संघर्ष के साथ जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा सुंदरकांड के श्लोक देते हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने माता जानकी की खोज के लिए समुद्र तट पर श्री राम की सेवा से अभियान का शुभारंभ किया। अंगद को श्रीलंका जाने का विश्वास नहीं था तब हनुमान जी ने संकल्प लेकर कहा कि माता जानकी की खोज का कार्य आत्मविश्वास के साथ पूरा करेंगे। समाज विकास के कार्य के लिए हमारी सोच सदैव सकारात्मक होना चाहिए तभी हमें सफलता मिल सकती है। किसी भी कार्य को करने के लिए मन का भाव शुद्ध और पवित्र होना चाहिए। युवा वर्ग को छोटे- छोटे कार्य में सफलता मिलने पर भी प्रश्न रहना चाहिए ताकि यही उर्जा युवाओं को कठिन से कठिन कार्य में आगे बढ़ने के लिए शक्ति प्रदान करती है। प्राचीन काल में सभी आयु वर्ग के लोग मंदिर में पूजा पाठ व्रत उपवास तपस्या आदि करते थे तो वह सुखी और शांति के साथ जीवन जीते थे आज का युवा मंदिर जाना भूल रहा है इसीलिए वह डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। युवा वर्ग समर्पित भाव से राष्ट्र सेवा के कार्य करें तो राष्ट्र का विकास हो सकता है। युवा वर्ग जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो बुजुर्गों, माता पिता, गुरु के चरण स्पर्श कर आज्ञा का पालन कर उनका सम्मान करे, तो दुनिया की कोई शक्ति आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है।
उन्होंने कहा सास बहू को बेटी और बहू सास को मां की तरह प्रेम करे तो घर स्वर्ग बन सकता है। युवा वर्ग संस्कार का ज्ञान जीवन में आत्मसात करे तो उनका विकास हो सकता है। यदि 1 करोड रुपए का भी नुकसान हो रहा हो तो पहले आरती सत्संग का कार्य करें, प्रसाद कभी ना छोड़े क्योंकि जीवन में समय से पहले और भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता है। बच्चों को धार्मिक त्योहारों पर परिवार रिश्तेदार नातेदार काका बुआ मौसी मामा आदि सदस्यों के साथ परिचय कराएं। माता पिता शिक्षा पर आज ध्यान दे रहे हैं वह बच्चे को करोड़पति उद्योगपति बना सकती है वह बच्चा धन कमाकर बंगला बना सकता है लेकिन जब वह उस बंगले में जाएगा तो वह अपने आप को अकेला पाएगा क्योंकि रिश्तेदारों नातेदार से तो उसका व्यवहार है ही नहीं। युवा वर्ग महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें उनके इतिहास को पढ़े और अपने जीवन का मार्ग प्रशस्त करें। माता-पिता बच्चों को शिक्षा के साथ धार्मिक नैतिक संस्कारों का पाठ भी पड़ा है। विद्यार्थियों को फेसबुक इंटरनेट इंस्टाग्राम का ज्ञान सिखाना चाहिए लेकिन उसकी आदत नहीं डालना चाहिए। उसे तकनीकी ज्ञान सीखने तक ही उपयोग करना चाहिए मोबाइल में अधिक समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। अंग्रेज और मुगलों से देश को आजाद कराने के लिए तो महाराणा प्रताप और शिवाजी ने जन्म लिया था।
हमें सामूहिक रूप से धार्मिक नैतिक संस्कारों के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। यदि युवा वर्ग समय रहते धर्म के प्रति सजग रहा धार्मिक संस्कारों के कार्यक्रमों में अग्रणी रहा तो हम धर्म का पाठ पड़ेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संत नागर द्वारा शंख ध्वनि का नाद किया गया एवं सभा मे 394 लोगों ने प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने का संकल्प लिया।
सुंदरकांड आयोजक रामप्रसाद जाट, बजरंग कमेटी पदाधिकारी, प्रधान प्रतिनिधि रणजीत सिंह भाटी, पूर्व उपजिला प्रमुख मिट्ठूलाल, पहलवान कैलाश गुर्जर सहित अनेक गणमान्य लोग और समीपवर्ती गाँवो के सेकड़ो ग्रामीण जन भी उपस्थित थे।
महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।