वीरधरा न्यूज़।चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
चित्तौडग़ढ़।सर्वेश्वर मंंदिर चामटीखेड़ा रोड़ पर चल रही रामकथा के दौरान बुधवार को कथाव्यास पं. आशीष जी चाष्टा द्वारा रामचरितमानस के सुंदरकांड की व्याख्या के साथ संगीतमय सुंदरकांड की प्रस्तुति भी दी गईं।
संयोजक श्यामसुंदर कैलाश चंद्र शर्मा व तरुण शर्मा ने श्रोताओं से अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की है। कथा मे अतिथि के रूप में पधारे जिला कोषाधिकारी दिग्विजय सिंह झाला का मंदिर समिति के संरक्षक लक्ष्मी नारायण डाड, अध्यक्ष विनोद लढ़ा व संयोजक कैलाशचन्द्र शर्मा ने अभिनंदन किया। उन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि मां बाप की सेवा के बिना कथा आयोजन व तीर्थयात्रा आदि कार्य व्यर्थ है।स्वर्ग का सुख भी सत्संग से मिलने वाले सुख के बराबर नहीं हो सकता है।कथा व्यास ने कहा कि सत्संग से भक्ति दृढ़ होती हैं।तन मन धन से समर्पित भगवान के भक्त के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं है। दुख में साथ देने वाला ही सच्चा हितैषी होता हैं। उन्होने भजनों व मानस की चौपाईयों के साथ राम सीता व लक्ष्मण के साथ वनवास जाने,रिषि मुनियों से मुलाकात कर सत्संग का लाभ लेने व विभिन्न राक्षसों के वध की कथा सुनाई। सति अनुसुइया द्वारा सीता को उपदेश व भक्तिमति शबरी द्वारा प्रभु की बाट जोहने व श्री राम द्वारा बैर खाने के प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया। नवधा भक्ति की व्याख्या करते हुए उन्होने प्रभु के शरणागत होकर भगवद् भजन को श्रेष्ठ बताया।भंवरलाल सोनी मुकेश शर्मा प्रवीणसिंह राजावत भगवतीलाल स्वर्णकार संजय शर्मा गुमानसिंह राठौड़ कालुलाल सुथार पवन शर्मा आदि गणमान्य उपस्थित हुए। मंजू वैष्णव ने भजनो कि प्रस्तुति दी।