वीरधरा न्यूज़। गंगरार@ श्री कमलेश सालवी।
गंगरार। “मनुष्य भव से ही कल्याण संभव है”। उक्त विचार बुधवार को शीतला अष्टमी एवं भगवान ऋषभदेव के जन्म कल्याणक के अवसर पर वर्धमान स्थानक भवन में कोमल मुनि ने आजोलिया का खेडा औद्योगिक क्षेत्र स्थित सिंघवी मार्बल से भीलवाड़ा की और विहार के दौरान जैन समाज अध्यक्ष कोमल सिंह मोदी, मंत्री सागरमल सुराणा, रेल्वे स्टेशन जैन समाज मंत्री अशोक कुमार कोचिटा, पूर्व जैन समाज अध्यक्ष हुक्मीचंद लोढ़ा, राजमल गोलेछा, हस्तीमल सुराणा,ज्ञानमल सुराणा, सुनिल लोढ़ा,सहित समाजजनों द्वारा कोमल मुनि को की गई विनती स्वीकारने के पश्चात नगर में मंगल प्रवेश करने पर श्रावक श्राविकाओ द्वारा स्वागत के पश्चात आयोजित धर्म सभा में विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जन्म मरण से छुटकारा पाकर आत्म कल्याण के मार्ग का यह दुर्लभ अवसर है। कोमल मुनि ने कहा कि कल्याण तो करने से ही होगा। कोमल मुनि ने गर्व की अनुभूति करते हुए कहा कि गंगरार की तपोभूमि व यहां निर्मित पांच सो वर्ष पुराने भगवान ऋषभदेव के मन्दिर की पूजा अर्चना होने व उनका जन्म कल्याणक महोत्सव मनाने के अवसर को पाकर स्वयं को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि भगवान ऋषभदेव ने अपने मन के घेरे व सीमित दायरे को तोड़ते हुए सार्वभौमिक बनकर सर्वहित की कामना कर परम तत्व को ढूंढ निकाला। कोमल मुनि ने इस अवसर पर तीर्थंकर का महत्व एवं तीर्थंकर की व्याख्या करते हुए कहा कि तीर्थंकर वही है जो चार तीर्थ की स्थापना करें।
कोमल मुनि ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस संसार के प्रति आसक्ति व सजगता रखने वाले वे अपनी आत्मा का कल्याण कदापि नहीं कर सकते। उन्होंने जगत से मिथ्या वास्ता व अंधानुकरण नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि हमारी आत्मा के साथ इनका तनिक भी रिश्ता नहीं है। कोमल मुनि ने आत्मा शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि आत्मा का स्वभाव क्या है? इसकी पहचान कैसे की जा सकती है ? आत्म कल्याण चाहने वाले को सत्य निष्ठा को समझ कर सद्चरित्र का निर्माण करना होगा उन्होंने जोर देकर कहा कि चरित्र निर्माण के बिना बाकी सभी निर्माण निर्मूल व व्यर्थ है। चरित्र निर्माण ही राष्ट्र व परिवार की प्रगति के लिए परम आवश्यक है। कोमल मुनि ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि, आज हम आंतरिक उपलब्धियों से नाता तोड़कर चरित्र का सुदृढ निर्माण नहीं करके ज्ञान के अभाव में द्वेष भाव रख क्लेश, कष्ट व परेशानियों को बढ़ा ही रहे हैं। उन्होंने मनुष्य और पशु में भेद निरूपित करते हुए कहा कि, संवेदनशीलता, परोपकार, करुणा, मैत्री, प्रेम व सहानुभूति के गुण जिसमें विद्यमान हो वही इंसान है। उन्होने कहा कि, सभी धर्म शास्त्रों का एक ही सार है कि कोई पराया नहीं कोई किसी से बैर नहीं है। हम सभी एक ही है। कोमल मुनि ने इस अवसर पर आत्म चिंतन की आवश्यकता जताते हुए कहा कि “आत्मा ही कर्ता है व आत्मा ही भोक्ता है” तो फिर हम दुनिया को क्यों दोषी ठहराये ? कोमल मुनि ने सार्वभौमिकता के भाव रखकर भगवान ऋषभदेव के जन्म कल्याणक महोत्सव पर प्रेरणा लेकर चारित्रिक दृढ़ता एवं क्षमता को बढ़ाने के भावो में अभिवृद्धि करते हुए प्राणी मात्र के हित को सोच कर आत्म कल्याण करने का आह्वान किया। मिडिया प्रवक्ता मधुसूदन शर्मा ने बताया कि धर्मसभा में नवदीक्षित हर्षित मुनि ने भी जैन धर्म की बारह शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। इस धर्मसभा में चितौड़गढ़ व भीलवाड़ा श्री संघो के पदाधिकारी व श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे। धर्म सभा का संचालन मंत्री सागरमल सुराणा ने किया।जबकि मीडिया प्रवक्ता मधुसूदन शर्मा एवं सुजानमल सुराणा ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्ष कोमल सिंह मोदी ने आभार जताया।