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बीकानेर-सहकारी समितियों को कम्‍प्‍यूटराइजेशन के लिए खर्च होगे 2516 करोड रुपये।

वीरधरा न्यूज़।बीकानेर@ श्री आंजनेय सारस्वत।


बीकानेर। नाबार्ड के माध्‍यम से सहकारी समितियों को एक प्‍लेटफार्म पर लाकर छोटे व मझौले किसानों को ऋण में सहूलियत प्रदान करने के लिए भारत सरकार पैक्‍स कम्‍प्‍यूटराईजेशन पर कुल रु.2516 करोड खर्च करने जा रही है भारत में पहली प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पीएसीएस) का गठन वर्ष 1904 में किया गया था। सहकारी समितियॉ किसानो तक कृषि ऋण उपलब्‍ध करवाने का सबसे सुगम माध्‍यम है प्राथमिक सहकारी समितियॉ केन्‍द्रीय सहकारी बैंक के माध्‍यम से जमीनी स्तर की सहकारी ऋण संस्थान हैं जो विभिन्न कृषि और कृषि गतिविधियों के लिए किसानों को अल्पकालिक और मध्यम अवधि के कृषि ऋण प्रदान करते हैं। यह जमीनी स्तर की ग्राम पंचायत और ग्राम स्तर पर काम करता है। सहकारी समिति सदस्यों के स्वामित्व वाली भूमि पर सिंचाई में सुधार के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था करने में सहयोग करता है तथा आवश्‍यकता पर सस्‍ते दर पर ऋण उपलब्‍ध करवाता है। आवश्यक आदानों और सेवाओं की आपूर्ति के माध्यम से विभिन्न आय-सृजन गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। इस दिशा में काम का पूरा करने के लिए नाबार्ड बीकानेर द्वारा बीकानेर जिले की चिह्नित सहकारी समितियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें नाबार्ड जिला विकास प्रबंधक रमेश ताम्बिया द्वारा पैक्‍स कम्‍प्‍यूटराईजेशन के बारे में विस्‍तार से बताया और भारत सरकार द्वारा लागू किये जा रहे प्रयासों के बारे में स्‍टेप बाई स्‍टेप समीक्षा करते हुए सहकारिता विभाग के माध्‍यम से बीकानेर जिले की सभी प्राथमिक सहकारी समितियों की ऑडिट रिपोर्ट के साथ नाबार्ड इन्‍श्‍यूर पोर्टल पर पार्ट बी को जल्‍द से जल्‍द पूरा करने की विधि को समझाते हुए पैक्‍स कम्‍प्‍यूटराइजेशन के माध्‍यम से छोटे व मझौले किसानों को होने वाले लाभ जैसे – पैक्स के कम्प्यूटरीकरण से उनकी पारदर्शिता, विश्वसनीयता और दक्षता में वृद्धि होगी, और बहुउद्देशीय पैक्स के लेखांकन की सुविधा भी होगी। यह प्राथमिक सहकारी समितियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), ब्याज सहायता योजना (आईएसएस), फसल बीमा योजना (पीएमएफबी) और उर्वरक और बीज जैसे आदान जैसी विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के लिए एक नोडल केंद्र बनने में भी मदद करेगा. इस मुहिम के माध्‍यम से सहकारी समितियों के रोजगार सृजन होगा जिसका प्रत्‍यक्ष लाभ स्‍थानीय युवाओं तथा किसानों को होगा। ये समितियां किसानों को उनके खाद्यान्न को संरक्षित और संग्रहीत करने के लिए भंडारण सेवाएं भी प्रदान करती हैं। सामान्‍य रुप से देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिए गए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41% (3.01 करोड़ किसान) तक है, और पैक्स के माध्यम से कुल केसीसी ऋणों (2.95 करोड़ किसानों) का 95% छोटे और सीमांत किसानों को प्रदान किया जाता रहा है।
जिला विकास प्रबंधक बीकानेर द्वारा बताया गया कि सहकारी समितियों को कम्‍प्‍यूटराईजेशन से निम्‍न लाभ प्राप्‍त होंगे – सहकारी समितियॉ बहुक्रियाशील संगठन बनने जा रहे हैं जो विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करेंगे जैसे कि बैंकिंग, ऑन-साइट आपूर्ति, विपणन उत्पादन और उपभोक्ता वस्तुओं का व्यापार।
वे वित्त प्रदान करने के लिए मिनी-बैंकों/अतिरिक्‍त बैंकिंग सेवाओं के रूप में कार्य करेंगे हैं, साथ ही कृषि इनपुट और उपभोक्ता वस्तुओं को प्रदान करने के लिए काउंटर भी आनलाईन उपलब्‍ध हो सकेंगे।
अत एक सदी से अधिक पुराने ये संस्थान एक और नीतिगत प्रोत्साहन के हकदार हैं और भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत के साथ-साथ वोकल फॉर लोकल के दृष्टिकोण में एक प्रमुख स्थान पर कब्जा कर सकते हैं, क्योंकि उनमें आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण खंड होने की क्षमता है।
यदि पुनर्गठन और संबंधित उपायों के माध्यम से पीएसीएस की संसाधन जुटाने की क्षमता में काफी सुधार होगा, तो उन्हें मजबूत और व्यवहार्य इकाइयों में परिवर्तित किया जाता है। इस कदम से सहकारी समितियों को उच्च वित्तपोषण एजेंसियों से अधिक जमा और अधिक ऋण दोनों को आकर्षित करने में सक्षम होना बनाया जा सकेगा।

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