Invalid slider ID or alias.

बदला न लो स्वयं को बदलो-भगवान भाई। उप कारागृह में कार्यक्रम हुआ।

 

वीरधरा न्यूज़।निम्बाहेड़ा@ श्री सुरेश नायक।

निम्बहेडा।यह कारागृह नही, बल्कि सुधारगृह है। इसमें आपको स्वयं में सुधार लाने हेतु रखा हुआ है, शिक्षा देने हेतु नहीं। इस कारागृह को संस्कार परिवर्तन का केंद्र बना लो इसमे एक दुसरे से बदला लेने के बजाए स्वयं को बदलना है बदला लेने से समस्या और ही बढ़ जाती है उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे उप कारागृह (जेल) में बंद कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करनेके लिए सोचों कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं। ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थल है।
भगवान भाई ने युवा कैदियों को कहा कि बदला लेने केबजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं? जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर, दयालू, कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म ना करें जिस कारण धर्मराज पूरी में हमें सिर झुकाना पडे, पछताना पडे, रोना पडे। स्वयं के अवगुण या बुराईयां हैं उसे दूर भगाना हैं, ईर्ष्या करना, लड़ना, झगड़ना, चोरी करना, लोभ, लालच, यह तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधीन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं। जिस भूलो के कारण हम यहा आये है उस भूलो को या बुराईयां दूर करना है तो हमारे अंदर की अपराधिक प्रवति में परिवर्तन आएगा। इन अवगुणों ने और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया इससे दूर रहना है।जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने के कारण ही समस्याएं पैदा होती है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता से पार करना हैं, तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृह साबित होगा। अंहमारे जीवन से काम ,क्रोध,लोभ ,मोह अहंकार, इर्ष्या, नफरत आदि बुराई को अपने जीवन से खदेड़कर हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने यह देश हमारे लिए स्वतंत्र बनाकर खुशी, आनंद में रहने के लिए दिया है
भगवान भाई ने कहा कि जो जैसा करता है वैसा फल पाता है। उन्होंने बताया कि हमारे मन में पैदा होने वाले विचार कर्म से पहले आते हैं। यह हमारे विचार ही तो हैं कि किसी के लिए प्यार की भावना होती है, किसी के लिए नफरत की भावना होती है। यदि आप किसी व्यक्ति से अच्छा व्यवहार चाहते हैं और उसे बदलना चाहते हैं, तो उसे दुआएं दो उसके प्रति अच्छा सोचें, तो वह भी आपको दुआ देगा। यदि आपके अन्दर किसी के प्रति नफरत है और आप उसके प्रति बुरा चाहते हैं तो वह आदमी भी आपके बारे में बुरा सोचेगा तथा आपसे नफरत करेगा। जो दूसरों को दुख देता है उसे कभी सुख नही मिलता तथा जो दुसरों को सुख देता है उसे सदैव सुख मिलता है। उन्होंने बन्दियों को बताया कि बीती बात को भुला देना चाहिए तथा आगे की सोचनी चाहिए कि हे परमात्मा मेरे से कोई बुरा कार्य न हो। गलती करने वाले से माफ करने वाला बडा होता है। बदला लेने वाला दूसरों को दुख देने से पहले अपने आप को दुख देता है। सभी इंसान ईश्वर की संतान है तथा सभी एक महान आत्मा है, सभी संसार में अपना-अपना कर्तव्य करने के लिए आते हैं। अत: प्रत्येक व्यक्ति को यही सोचना चाहिए कि मुझे अच्छे कर्म करने के लिए संसार में जन्म लिया है, न कि बुरे कर्म करने के लिए। अत: हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। आज से 15 दिन इस बात का व्रत लो कि हे भगवान मुझे शक्ति दो, कि मैं किसी को दुख न दूं, तो आपके मन में अपने आप बदलाव आने लगेगा।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से बी के शिवली बहन जी ने बताया कि मनुष्य ने विषय वासनाओं की चादर ओढ़ी हुई है जो भगवान से वेमुख कर देती है। अगर भगवान से सर्व सम्बन्धों से याद किया जाए तो भगवान की शक्ति आ जाएगी और तन-मन में खुशी शान्ति आ जाएगी व सर्व मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी।
जेलर भवरसिंह हाडा ने भी अपने सम्बोधन में बन्दियों को बताया कि आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे। अत: हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। उन्होंने बताया कि बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड दोगे तथा अपने आप अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छुटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेंगे। अंत में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज सस्था ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन्यवाद किया भविष्य में ऐसे कार्यक्रम करने हेतु ब्रह्माकुमारी को निमन्त्रण भी दिया।
कार्यक्रम में बी के अनिल भाई, बाबूलाल भाई और बी के विमला माता भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में आपराध मुक्त बनने, मनोबल बढाने, बुरी आदतों को छोड़ने और सस्कार परिवर्तन के लिए भगवान भाई ने कॉमेंट्री द्वारा मेडिटेशन राजयोग कराया।

Don`t copy text!