वीरधरा न्यूज़।डुंगला@ श्री अमन अग्रवाल।
डूंगला दिवाकर नगरी डूंगला में लोह पुरुष संथारा विशेषज्ञ छोटे जैन दिवाकर श्री धर्म मुनि मासा के शिष्य रत्न प्रवचन भास्कर केशव मुनि एवं सेवाभावी चक्षु मुनि मा सा के सानिध्य में तप तपस्याओं का ठाट लगा हुआ है। दिवाकर नगरी अभी तपस्या की नगरी बनी हुई है। धर्म मुनि मा सा के जन्मोत्सव के उपलक्ष में 551 तेले तप की आराधना हुई इसी श्रंखला में तातेड परिवार की दो कोहिनूर नगीनों ने इस तप तपस्या मे चार चांद लगाते हुए, डूंगला का नाम रोशन किया। गुरुवार को सुश्री सुरभि पिता राजेश माता मधु तातेड ने मासखमण 30 उपवास की आराधना पूर्ण की, इसी तरह सुश्री प्रियल पिता गजेंद्र, माता नीलम देवी तातेड के 21 उपवास गतिमान है इन दोनों बहनों की तपस्या के उपलक्ष में कस्बे में वरघोड़ा निकाला गया। जो कि निज आवास से प्रारंभ होकर नगर के आदिनाथ मंदिर पर दर्शन करते हुए जैन स्थानक पहुंचा। इसमें बड़ी संख्या में समाज जन उत्साह के साथ शामिल हुए। शोभायात्रा के दौरान तपस्वी बहनो का जगह-जगह समाज जनों द्वारा स्वागत किया गया, वही धर्म के गानों की धुन पर परिवार जन उत्साह के साथ थिरकते नजर आए। रथ पर विराजित तपस्विनी बहने सभी का अभिवादन स्वीकार कर रही थी। सुश्री सुरभि तातेड का कहना है कि तपस्या करने से बुरे कर्म नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तपस्या से निखरती है आत्मा तपस्या कर्मों की निर्जरा का सशक्त माध्यम है जिस तरह आग में तप कर सोना निखर जाता है उसी प्रकार तपस्या से मनुष्य की आत्मा निखर जाती है आत्मा के नजदीक बसना उपवास की तपस्या है श्रावक संघ के मंत्री कनक मल दक ने दोनों बोली दाताओं को समाज की ओर से शाल एवं माला देकर तपस्विनी बहनों की बहू मान करने को कहा। मांगीलाल जारोली परिवार ने तपस्विनी बहनों को अभिनंदन पत्र दे शाल एवं माला उड़ा कर स्वागत किया। वरघोड़ा शोभायात्रा में समाज जन, परिजन, रिश्तेदार, महिला मंडल, बहू मंडल के साथ सूरत से मिश्रीलाल तातेड, बड़ी सादड़ी से ज्ञान मल डांगी, हेमंत डांगी, फतहनगर से उषा सेठिया आदि वरघोड़ा में शामिल हुए। वरघोड़ा का मार्गदर्शन सिद्धार्थ तातेड ने किया। कार्यक्रम का संचालन चतुर्मास समिति के मंत्री बसंतीलाल नागौरी ने किया।