वीरधरा न्यूज़ चित्तोड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। प्रदेश में गौवंश में लगातार फैल रहे लम्पी रोग ने अब जिले में भी दस्तक दे दी है, जिसके चलते भोपालसागर व घाटा क्षेत्र के लाखा का खेड़ा में कुछ गौवंश में प्रथम दृष्टया लम्पी रोग लक्षण होने से सेपलिंग ली गई है, जिनमें यह रोग होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, जो कि जिले के लिये चिंता का विषय है। लम्पी रोग से बचाव के लिये जिला प्रभारी मंत्री खाचरियावास विभाग के अधिकारियों की सर्किट हाउस में औपचारिक बैठक लेकर आवश्यक दिशा निर्देश देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर चुके है, वही जिला प्रशासन द्वारा भी लम्पी रोग से बचाव के लिये जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया जा चुका है, लेकिन पैर पसारने को तैयार लम्पी रोग के बावजूद जिले का पशु-पालन विभाग स्टाफ, व्यवस्थाओं व वैक्सिन की कमी के चलते स्वंय ही लाचार नजर आ रहा है। ऐसे हालात में यदि लम्पी रोग ने जिले में अधिक पैर पसारे तो गौवंश को बचाना मुश्किल हो जायेगा।
पशु पालन विभाग के संयुक्त निदेशक नेत्रपाल सिंह की माने तो जिले में लगभग तीन लाख गौवंश है जबकि हकीकत यह है कि पशु गणना की दृष्टि से यह आंकड़ा वास्तविकता से कही परे है। विभाग के अनुसार जिले में पंजीकृत 44 गौशालाएं है, जहां स्थित गौवंश में से भी आधे से कम गायों को टीकाकरण को पाया है, जिसके अनुसार लगभग सात हजार गौवंश का टीकाकरण किया गया है। विभागीय अधिकृत आकड़ों की ही माने तो उपलब्ध गौवंश में से मात्र ढाई प्रतिशत गौवंश का टीकाकरण किया जाना उंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। एक ओर जिले में विभाग के सभी पशु चिकित्सालयों में मात्र 45 चिकित्सक व 73 कंपाउंडर पद स्थापन के कारण 75 प्रतिशत स्टाफ की कमी से झूंझ रहे विभाग द्वारा संभावित लम्पी रोग से गौवंश को बचाना काफी मुश्किल साबित हो सकता है। इतना ही नहीं विभाग के पास वाहनों व संसाधनों की कमी के चलते चित्तौड़ सरस डेयरी को आग्रह कर लम्पी रोग से बचाव के लिये वेक्सिन व्यवस्था करने का आग्रह किया गया है।