वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ श्री अनिल सुखवाल।
चित्तौड़गढ़। शहर में यूं तो यातायात एक बड़ी और आम समस्या सालभर बनी ही रहती है लेकिन जब जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय जो कि शहर के साथ जिलें में यातायात और लाॅ एण्ड आर्डर दोनों कायम करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है जब उसके कार्यालय परिसर में ही यातायात व्यवस्था चरमरा रही है तो फिर शहर के मुख्य बाजारों में तो पार्किंग व्यवस्था बिगड़नी लाजमी ही मानी जानी चाहिए।
बता दें कि जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के मुख्य द्वार के सामने मीरा नगर क्षेत्र की सभी दुकानों एवं होटलों के व्यापारी नियमित रूप से अपनी कारें एवं दुपहिया वाहनों को जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बेझिझक और साल भर बिना किसी रोक-टोक के पार्किंग करने के बाद निश्चिंत होकर अपने अपने प्रतिष्ठानों पर व्यापार करते दिखाई देते हैं तो वहीं दूसरी ओर जिले के गंगरार, राशमी एवं आसपास पदस्थापित कर्मचारी भी अपने दो पहिया वाहनों को जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय की पार्किंग स्थल में अनाधिकृत पार्किंग कर बेतरतीब चले जाते हैं और शाम को वापस अपने वाहनों को लेकर बिना किसी रोक-टोक के चले जाते हैं और यही कारण है कि यातायात की व्यवस्था खराब और समस्या की पुलिस अधीक्षक द्वारा नियमित आवागमन के बाद भी अनदेखी करने से कई बार इन क्षेत्रों में वाहनों तक की चोरी हो जाती हैं इससे एक ओर शहर में दिन ब दिन चोर गिरोह बेरोकटोक अपना काम कर निकल जाते हैं और दुसरी ओर जनता को खराब यातायात व्यवस्थाओं से दुर्घटनाओं तक का शिकार होना पड़ता है।
कुछ ऐसा ही माजरा मीरा नगर की तंग सड़कों का भी है जहां की चौड़ाई मात्र 20 से 25 फीट होने से जहां पर सड़कों की चौड़ाई नियमित यातायात के लिए भी पर्याप्त नहीं हो पा रही है और खराब यातायात व्यवस्था के कारण वहां आने जाने वाले आगंतुक और व्यापारी लोग ही सड़क पर अतिक्रमण करने के अलावा अपने चौपहिया वाहनों को खड़ा करके अपने-अपने कार्यालयों अथवा प्रतिष्ठानों में जाकर निश्चिंत होकर बैठ जाते हैं वहीं दूसरी ओर शहर में बढ़ रहे आवारा पशुओं के कारण भी यातायात बाधित हो रहा है जिससे इन गलियों से दोपहिया वाहन तक निकलने की जगह नहीं दिखाई देती है अब देखना यह है कि यातायात पुलिस इन पर कार्रवाई कर पाती है या नहीं लेकिन खानापूर्ति के लिए यातायात पुलिस के द्वारा एक पेट्रोलिंग शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए जरूर चलाई जाती है जो खुद भी यातायात व्यवस्थित करने के बजाय उसमें बैठे अधिकारी अपने वाहनों में बिना सीट बेल्ट के बैठे बैठे ही वायरलेस पर निर्देश देकर बिना किसी कार्रवाई के आगे बढ़ते हुए दिखाई देते हैं और तो और यह वाहन भी रोड़ की फास्ट ट्रैक में दस की स्पीड से गाड़ी चलाकर जाम की स्थिति पैदा करते हैं जिससे यातायात की स्थिति और भी अधिक दयनीय हो जाती है।
इस प्रकार चित्तौड़गढ़ की यातायात व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गम्भीर समस्या का स्थाई समाधान निकालने के लिए कदम उठाने की पहल करता है या फिर हमेशा की तरह अनदेखी करता है खैर जनता को भी कुछ बोले बिना सहन करने और दुर्घटनाओं का शिकार होने की आदत डाल लेनी चाहिए।