निजी अस्पतालों में आईएलआई लक्षण वाले मरीजों के सैम्पल लेने के लिए प्रक्रिया निर्धारित करें -मुख्यमंत्री
वीरधरा न्यूज़। जयपुर @ श्री राहुल भारद्वाज
जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लिए अधिक से अधिक जांचें की जाएं। जांच समय पर होने से संक्रमण का फैलाव रोकने में आसानी होती है और रोगी को समय रहते उपचार मिल जाता है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में भी सर्दी, खांसी, जुकाम (आईएलआई) जैसे लक्षणों वाले मरीजों की कोरोना जांच के लिए सैम्पल लेकर सरकारी जांच लैब में भेजे जा सकें, इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया निर्धारित की जाए। उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टोर संचालक भी दवा लेने आए आईएलआई लक्षणों वाले व्यक्ति को कोरोना जांच कराने के लिए प्रेरित करें।
गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर कोविड-19 की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऎसा देखा गया है कि अस्पतालों के कोविड आईसीयू में भर्ती 70 प्रतिशत मरीज ऎसे हैं, जिन्होंने कोरोना लक्षणों को नजरअंदाज किया और देरी से अस्पताल पहुंचे। हमारा प्रयास है कि राज्य में अधिक से अधिक जांचें कर संक्रमित व्यक्ति का सही समय पर पता लगाया जाए ताकि अन्य लोग संक्रमित होने से बचें। उन्होंने मोबाइल वैन के माध्यम से भी सैम्पल एकत्र करने के निर्देश दिए ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों में आईएलआई लक्षण वाले मरीजों की जांच समय पर हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पताल प्रशासन भर्ती मरीजों को कोविड उपचार एवं हैल्थ प्रोटोकॉल की पालना से सम्बन्धित गाइडलाइन का पैम्पलेट उपलब्ध कराएं ताकि बीमारी से लड़ने के लिए वह बेहतर ढंग से तैयार हो सके। साथ ही डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को पोस्ट कोविड सावधाानियों से सम्बन्धित जानकारी वाला पैम्पलेट उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन यह भी सुनिश्चित करें कि परिजन उचित दूरी एवं समस्त सावधानियों के साथ अस्पताल में भर्ती कोविड मरीज से मिलें।
गहलोत ने कहा कि पिछले दिनों संक्रमण रोकने के लिए कुछ जिलों में लगाए गए रात्रिकालीन कफ्र्यू एवं विवाह समारोह में 100 से अधिक लोगों के एकत्रित होने पर प्रभावी रोक से सकारात्मक परिणाम आए हैं। अब सैम्पलिंग बढ़ाने के बावजूद पॉजिटिव केस की संख्या फिर घटने लगी है। राज्य सरकार के फैसलों की पालना आमजन ने स्वप्रेरणा से की है, यह अच्छा संकेत है। आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि सोशल डिस्टेसिंग एवं मास्क पहनने सहित अन्य हैल्थ प्रोटोकॉल की प्रभावी पालना हो। इसके लिए लोगों को लगातार जागरूक करते रहने की आवश्यकता है। उन्होंने जिला प्रशासन एवं संबंधित विभागों के समन्वय से ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रभावी ढंग से जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए।
शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि रात्रिकालीन कर्फ्यू, विवाह एवं अन्य आयोजनों में आगन्तुकों की संख्या सीमित करने तथा मास्क की अनिवार्यता लागू करने जैसे फैैसलों का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। त्यौहारी सीजन में भीड़-भाड़ के कारण तेजी से बढ़े पॉजिटिव केस अब फिर घटने लगे हैं।
उन्होंने बताया कि 24 नवम्बर को 3314 पॉजिटिव केस थे, जो घटकर 28 नवम्बर को 2765 रह गए हैं। साथ ही, निजी अस्पतालों में डे-केयर सुविधा के लिए गाइडलाइन एवं दरों का निर्धारण कर दिया है। उन्होंने वैक्सीन के भण्डारण एवं परिवहन के लिए की जा रही तैयारियों की भी जानकारी दी।
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार ने बताया कि विभिन्न देशों में कोविड-19 के उपचार और रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों के अध्ययन से पता चलता है कि प्रदेश में कोविड-19 के लिए तैयार किया गया इन्फ्रास्ट्रक्चर और ट्रीटमेन्ट प्रोटोकॉल काफी अच्छा है।
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भण्डारी ने बताया कि पोस्ट कोविड मरीज अब जागरूक हो रहे हैं। करीब 20 प्रतिशत मरीज ऎसे हैं, जिन्होेंने अस्पताल से डिस्चार्ज होने के कुछ दिन बाद फिर से सीटी स्कैन कराया ताकि उन्हें फेफड़ों में इन्फेक्शन के बारे में सही स्थिति पता चल सके।
विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि संक्रमण रोकने के लिए टेस्टिंग बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा संक्रमण रोकने के लिए पिछले कुछ दिनों में उठाए गए कदमों की सराहना की।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा भी वीसी से जुड़े। बैठक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य, पुलिस महानिदेशक श्री एम.एल. लाठर, चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया, शासन सचिव गृह एन.एल. मीणा, स्वायत्त शासन निदेशक दीपक नन्दी तथा सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।