वीरधरा न्यूज़।राशमी@ श्री शंभुलाल आचार्य।
राशमी। समकित के संग समकित की यात्रा,स्ट्रेसफुल लाइफ का सोल्यूशन प्रवचन श्रंखला में शुक्रवार को यहाँ शांति भवन में आयोजित धर्मसभा में डॉक्टर समकित मुनि ने कहा कि आदमी को मन का संसार बहुत परेशान करता हैं,यदि मन का संसार ख़त्म हो जायेगा तो स्वत ही बाहर का संसार भी खत्म हो जायेगा। सब बाहर की ताकत दिखाने में लगे हैं,लेकिन जितना हम बाहर का बल दिखाएंगे उतने ही अंदर से कमज़ोर भी हो जाएंगे। भीतर के बल को बताने के लिए लबो को बंद रखना पड़ता हैं,लेकिन जब तक लब चालू रहेंगे भीतर का बल बता नही सकेंगे। सन्त बनने के बाद भी यदि विनम्रता,संयम की ताकत नहीं आती हैं तो सन्त बनना भी धूल समान हैं। इसलिए दीक्षा भी देवलोक के समान सुखदायी हैं,तो नरक के समान दुखदायी भी हो सकती हैं। अतः सबसे पहले भीतर के दुर्गुणों को खत्म करना चाहिए। मुनि श्री ने कहा कि तपस्या से मुक्ति नही होती वह मुक्ति में सहायक होती हैं। लेकिन तपस्या के साथ भीतर भी सद्गुण आ जाये तो मुक्ति सम्भव होती हैं। लेकिन भीतर कीचड़ भरा पड़ा हैं तो तपस्या और दीक्षा भी मोक्ष का कारण नही बन सकती है। मुनी ने कहा कि समकित की यात्रा करनी है तो भीतर के झंझाल को समाप्त करना होगा। वरना हम भी रोज मकड़ी की तरह जाले बुनते रहेंगे और उसमे दुसरो के फसाते फसाते एक दिन खुद ही उसमे फस कर इस अमूल्य मानव जीवन का बेड़ा गर्क कर देंगे। इसलिए जाले बुनना बन्द करो ओर ईमानदारी से स्वयं का परीक्षण करो,स्वयं की जानकारी होना,स्वयं का पता लगाना ही समकित की यात्रा है।धर्म सभा मे जैन कांफ्रेंस के राजस्थान प्रान्त के कार्यकारिणी सदस्य दौलत पोखरना, प्रांतीय प्रचार प्रसार मंत्री अधिवक्ता गोवर्धन सिंह गिलुण्डिया, प्रांतीय मंत्री देवेंद्र रांका, स्थानीय जेन समाज के अध्यक्ष निर्मल कुमार पोखरना,मंत्री सोहन लाल पोखरना,अर्जुन लाल रांका, महेंद्र रांका,प्रकाश पोखरना, लक्ष्मी लाल मारु, सम्पत लाल रांका, पदम कुमार पोखरना,लादू लाल रांका, रिखब लाल बोर्दिया,भगवती लाल कोठारी, सुरेंद्र पोखरना,सुरेश कांठेड़ सहित कई श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
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