वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@श्री अनिल सुखवाल।
चित्तौड़गढ़।विजयपुर के किसानों ने तालाब की मोहरी खुलवाने के लिए चौथे दिन मंगलवार को भी बारिश के बावजूद धरना स्थल विजयपुर बस स्टैंड पर डटे रहे ओर उन्होंने कहा कि मांग पूरी होने से पहले नहीं उठेंगे।
संघ अध्यक्ष सोहनदास वैष्णव में बताया कि विजयपुर क्षेत्र के करीब 85 किसानों की भूमि जो कि करीब 500 बीघा के क्षेत्रफल में फैली हुई है यह जमीन विजयपुर राजस्व ग्राम के जवासिया गांव के समीप तालाब में स्थित है जहां पर मोहरी बंद होने से पिछले चार-पांच सालों से वहां पर तालाब में पानी भरा रहता है जिसके कारण किसानों की खेती कर उपज पैदा नहीं कर पा रहे हैं।
गौरतलब है कि किसानों द्वारा लंबे समय से की जा रही तालाब की मोहरी खोलने की मांग की जानकारी प्रशासन के पास पहले से ही उपलब्ध होने के बावजूद गांव के ही ऊंची राजनीतिक पंहुच वाले प्रभावशाली रसूखदार होने से मामले को हर बार दबा दिया जाता है जो कि राजनीतिक पंहुच रखता है।
जब यह जानकारी जिला कलक्टर ताराचंद मीणा के संज्ञान में आई तो उन्होंने 11 जुलाई को स्वयं विजयपुर के तालाब पर पहुंचकर मौका स्थिति देखी लेकिन अब तक किसानों को मात्र जांच के आश्वासन के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं आया है धरने के चौथे दिन आज वहां के किसान नेता और अध्यक्ष सोहन दास वैष्णव ने बताया कि विजयपुर तालाब में सिचाई विभाग द्वारा जो मोहरी बनवाई गई थी उसमें गांव के ही एक प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा पांच साल पहले ही मिट्टी डालकर मोहरी को बंद कर दिया गया था इसी कारण से 5 साल होने के उपरांत भी आज तक गांव के ही करीब 85 काश्तकारों की लगभग 500 बीघा जमीन पर पानी भरा रहता है जो कि एक बड़े तालाब की शक्ल धारण कर चुका है जिससे वे जमीन में गत पांच सालों से खेती नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है कई किसानों के घरों में इस कारण से भुखमरी तक की नौबत आ चुकी है, सोहन दास वैष्णव का कहना है कि अगर तालाब की मोहरी नहीं खोली गई तो किसान और उनका परिवार भूखे मर जाएंगे इसलिए जब तक उनकी मांग पूरी कर तालाब की मोहरी नहीं खुलवाई जाती तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे।
मंगलवार को धरना स्थल पर नारेबाजी कर किसानों ने रोष जताया। बाबूलाल धोबी ने अपने विचार रखते हुए किसानों की मांगों को उचित ठहराया।
धरना स्थल पर सोहन दास वैष्णव के साथ गोपाल राठी, बाबूलाल धोबी, रमेश चंद्र जोशी, राधेश्याम शर्मा, ओम प्रकाश सोनी, सत्यनारायण शर्मा, बद्रीदास, मथुरा लाल रेगर, रतन गार्ड, जगदीश चंद्र स्वर्णकार, अरदिया कंजर, ओंकार रेगर, रमेश रेगर, हीरा रैगर,उमरा राम रेगर एवं गोपाल दास आदि उपस्थित रहे।