चित्तौड़गढ़- चित्तौड़गढ़ जिले में घर-घर औषधि योजना के तहत हर परिवार को नि:शुल्क वितरित किए जाएंगे चार औषधीय पौधे।
वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ डेस्क
चित्तौड़गढ़ । आगामी 5 वर्षों के लिए लागू की गई घर-घर औषधि योजना के तहत वन विभाग द्वारा अब जिले के प्रत्येक इच्छुक परिवार को तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा व कालमेघ के पौधे नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसकी प्रथम बैठक गुरुवार शाम डीआरडीए सभागार में रखी गई।
बैठक में जिला कलेक्टर ने पौधों के वितरण स्थलों का चिन्हीकरण करने, ग्राम पंचायत स्तर तक पौधों के परिवहन एवं वितरण हेतु प्रभावी व्यवस्था करने और विभिन्न विभागों से समन्वय करने के निर्देश दिए। जिला कलेक्टर ने योजना के क्रियान्वयन हेतु आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था करने और जिला स्तर पर कुछ नवाचार करने के भी निर्देश दिए। बैठक में डीएफओ सुगनाराम जाट ने घर-घर औषधि योजना में वितरित किए जाने वाले पौधों की विस्तार से जानकारी देकर इनके स्वास्थ्यवर्धक फायदों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले में 14 लाख 41 हजार पौधे तैयार करने का लक्ष्य मिला है। पचास प्रतिशत परिवारों को इस साल और बाकी पचास प्रतिशत परिवारों को अगले साल पौधे वितरित किए जाएँगे। उन्होंने बताया कि इस हेतु वृहद स्तर पर पौधे तैयार किये जा रहे हैं।
इसलिए महत्वपूर्ण है घर-घर औषधि योजना
राजस्थान के वनों एवं वनों के बाहर हरियाली वाले क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की औषधीय प्रजातियों की उपलब्धता रही है, जिनका प्रयोग आदिकाल से आयुर्वेद तथा स्थानीय परंपरागत ज्ञान के अनुरूप स्वास्थ्य रक्षण एवं चिकित्सा के लिये होता आया है। वर्तमान परिस्थितियों में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं जीवन-शैली में परिवर्तन जैसे कारणों से स्थानीय लोग अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त होते रहते हैं।
आयुर्वेद तथा स्थानीय परम्परागत ज्ञान व वनों में उपलब्ध औषधियों को लोगों के घरों, खेतों और निजी जमीनों के समीप उगाने हेतु सहायता करने से राज्य के निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार करना इस योजना का मुख्य ध्येय है। इस योजना से राजस्थान में पाई जाने वाली वनौषधियों एवं औषधीय पौधों का संरक्षण भी होगा। घर-घर- औषधि योजना एक साथ कई उद्देश्यों को समेटे हुए है। राज्य में औषधीय पौधों को उगाने के इच्छुक परिवारों को स्वास्थ्य रक्षण हेतु बहु-उपयोगी औषधीय पौधे वन विभाग की पौधाशालाओं में उपलब्ध कराया जायेगा।
लोगों के स्वास्थ्य रक्षण और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा चिकित्सा हेतु बहु-उपयोगी औषधीय पौधों की उपयोगिता के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुये जन चेतना का विस्तार होगा। औषधीय पौधों के प्राथमिक उपयोग तथा संरक्षण-संवर्धन हेतु आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के सहयोग से प्रमाण-आधारित जानकारी उपलब्ध होगी। जिला प्रशासन व वन विभाग, जन-प्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, विभिन्न राजकीय विभागों, संस्थानों, विद्यालयों, और औद्योगिक घरानों का सहयोग लेकर जिले में घर-घर औषधि योजना को जन-अभियान के रूप में क्रियान्वित किया जायेगा।
जिले में तैयार हो रहे है 14 लाख 41 हजार पौधे
जिले की 21 नर्सरी में कुल 14 लाख 41 हजार पौधे तैयार किए जा रहे है। सबसे ज्यादा कपासन रेंज के नर्सरी में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। यहां लगभग 3 लाख 70 हजार 05, विजयपुर नर्सरी में 3502, विजयपुर के दूधीतलाई नर्सरी में 31 हजार 800, विजयपुर के उदपुरा नर्सरी में 4500, मंगलवाड़ में 98 हजार 538, सांवरिया जी में 50 हजार, निंबाहेड़ा उप जिला मुख्यालय में 50 हजार, कन्नौज में 65 हजार 760, अरनोदा में 40 हजार, बड़ीसादड़ी में 1 लाख 10 हजार 893, बाड़ी में 89 हजार 489, बेगूं के पारसोली में 31 हजार 200, लाडपुरा में 30 हजार 468, पिपलिखेड़ा में 30 हजार 600, सामरिया में 10 हजार, रावतभाटा के एकलिंगपुरा में 69 हजार 762, बोराव 35 हजार 548, जावदा में 23 हजार 756, चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय में 1 लाख, हथनीओदी में 1 लाख और सेमलपुरा में 69 हजार 588 पौधे तैयार किए जा रहे है।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में डीएफओ सुगनाराम जाट, एडीएम (भूमि अवाप्ति) अंबालाल मीणा, जिला परिषद सीईओ ज्ञानमल खटीक, आर ए ए एवं यूआईटी सचिव सी डी चारण, एसीएफ समीउल्लाह खान, जिला रसद अधिकारी विनय कुमार शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी अरुण दशोरा, महिला एवं बाल विकास उप निदेशक राजकुमारी खोरवाल, जिला उद्योग केंद्र महाप्रबंधक राहुल देव सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।