वीरधरा न्यूज़।शंभूपुरा।डेस्क।
चित्तौड़गढ़।अक्षय तृतीया भारतीय संस्कृति का एक सांस्कृतिक त्योहार है यह पर्व आध्यात्मिक भावना व संस्कार जगाने वाला है इसका महत्व दान व तप की उग्र भावना से है।
जैन धर्म के अनुसार हस्तिनापुर के राजा और बाहुबली के पौत्र श्रेयांश कुमार ने प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को उनकी कठिन तपस्या के पश्चात अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस से पारणा करवाया था जिन शासन का यह प्रथम पारणा था।
इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए जैन समाज के तपस्वियों द्वारा एक दिन उपवास और एक दिन भोजन करते हुए वर्ष पर कठिन तपस्या की जाती है और अक्षय तृतीया पर इक्षु रस से पारणा किया जाता है जिसे वर्षीतप कहा जाता है और जिन तपस्वियों की भावना आगे बढ़ने की होती है वह अक्षय तृतीया पर पारणा करके अगले दिन से ही उपवास करके अपनी तपस्या को प्रारंभ कर देते हैं और यह क्रम भावना अनुरुप चलता रहता है।
तपस्वियों के वर्षीतप के पारणे का यह महापर्व साधु संतों के सानिध्य में, घर परिवार, रिश्तेदारों के साथ सामूहिक रूप से उत्सव के रूप में मनाया जाता है लेकिन लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना के कारण चित्तौड़गढ़ व आस-पास के सभी तपस्वियों को इक्षु रस पहुंचाने की जिम्मेदारी आचार्य तुलसी बहुद्देशीय फाउंडेशन ने बड़े उत्साह से ली है।
टीम एटीबीएफ़ ने अक्षय तृतीया के दो दिवस पूर्व सभी तपस्वियों के घर पर इक्षु रस हेतु कलश का वितरण किया तथा अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस, अनुमोदना स्वरूप प्रशस्ति पत्र व उपहार प्रत्येक तपस्वी के घर पहुंचाकर उनका बहुमान किया।
एटीबीएफ़ संस्थापक सुनील ढिलीवाल के अनुसार सकल जैन समाज व समस्त संघो के सानिध्य में एटीबीएफ़ द्वारा 31 वर्षीतप एवं एकासन तप के तपस्वियों व 8 साधु संतों के एकासन व वर्षीतप के पारणे संपन्न हुए।
इस अवसर पर शांत क्रांत संघ अध्यक्ष शांतिलाल सेठिया, तेरापंथ सभा अध्यक्ष अजीत ढिलीवाल, दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष ओम प्रकाश गदिया ने उपस्थित रहकर एटीबीएफ़ परिवार का उत्साहवर्धन किया।
इन साधु-संतों के हुआ वर्षीतप का पारणा
शहर में विराजित महासती श्री उर्मी जी म.सा., महासती श्री चेलना जी म. सा., महासती श्री पुष्प शीला जी म.सा., उपप्रवर्तक श्री चंद्रेश मुनि जी म. सा., महासती श्री निशांत श्री जी, महासती श्री आदित्य श्री जी, महा सती प्रियदर्शना जी, एव महासती निमिता जी मा. के पारणे करवाये गए, तथा शहर व आसपास के क्षेत्र के 31 तपस्वियों के भी पारणे करवाये।
इनका रहा विशेष सहयोग
देव शर्मा, अपुल चिपड,अर्पित बोहरा, संजय जैन, तुषार सुराणा,मोहित सरूपरिया, पूर्णिमा मेहता, दिलखुश खेरोदिया, आदित्य नागोरी, मोहित कच्छाला, राज कुमार खेरोदिया, कमलेश सिंघवी, राजेश ढ़ीलिवाल, यशपाल बाफना, कुंदन गुर्जर, सोरभ ढीलीवाल, मनीष भडक्तिया आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।