कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना रमा बहेड ने अपने मधुर स्वरों में प्रस्तुत किया।सम्मेलन का विषय “मैं एक मजदूर हूँ ” था।जिसमें रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम किसानों की मनःस्थिति व उसकी सुख-दुःख को अपने काव्य सूत्र में पिरो सबके समक्ष प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी । संस्था संस्थापक विनय पान्डेय ने उद्बोधन में कहा कि मजदूर दिवस पर हमारा कर्तव्य है कि हम उन सभी मजदूरों को प्रणाम करें जो अपने अथक परिश्रम से इस धरा को सौंदर्य प्रदान करने में लगे हुए हैं, क्योंकि संसार के समस्त निर्माण इन्हीं के हाथों का हुनर है और इन्हीं के कंधों पर ही टिका हुआ है। सरंक्षक विनोद पांडेय ने बड़े भावुक होते हुए कहाँ कि अगर मजदूर न होते तो ये धरती कैसी दिखती। उन्होंने ही इस वीरान धरती पर झोंपड़ी से लेकर महलों का निर्माण किया है, उनके हाथों ने पर्वत का सीना चीरकर रास्ते का निर्माण किया है।वह एक मजदूर ही हैं जो इस कार्य को भली-भांति कर सकता है। अगर सोचा जाय तो उस मजदूर के कारण ही प्रकृति की रचना हो पायी है।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि निशा अतुल्य उत्तराखंड अध्यक्षा चन्दा डांगी चित्तौड़गढ़ ने कहा कि मजदूर समाज का एक ऐसा अंग है जो विषम परिस्थितियों में भी काम करना बंद नहीं करता है क्योंकि भूख एक ऐसी चीज है जो किसी भी परिस्थिति को नहीं जानती है ।अगर,देखा जाय तो इनके घर इतने छोटे व अभावग्रस्त होते हैं जहां यह अपना संपूर्ण जीवन यापन करते हैं न जाने समाज क्यों इन्हें किस बात की सजा देते हैं कार्यक्रम का संचालन साधना मिश्रा ” विंध्य”,पूनम शर्मा ‘स्नेहिल’ व गजेन्द्र हरिहारनो “दीप” द्वारा संयुक्त रूप से सफलता पूर्वक आयोजित किया गया।कार्यक्रम आयोजक मनु पांडेय ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया।सम्मेलन में राजस्थान, वाराणसी दिल्ली, रूड़की भोपाल, कोलकाता, मध्यप्रदेश, प्रयागराज, बांदा इत्यादि जगहों से कवि सम्मेलन में रचनाकार जुड़े रहे ।सम्मेलन का आरंभ 3:00से शाम 6:45बजे समाप्त हुआ ।कार्यक्रम को सफल बनाने में वरिष्ठ कवि गण व संस्था के समस्त पदाधिकारी सम्मेलन में बने रहे। इस उपलक्ष्य मे चित्तौड़गढ़ की श्रीमति चन्दा डांगी को अध्यक्षा की भूमिका निभाने हेतु प्रेरणा शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया।