शंभूपुरा क्षेत्र में पनप रहे जुआ, सट्टा, गांजा, सुतखोरी जैसे अपराध, प्रसासन सो रहा कुम्भकर्णीय नींद।
वीरधरा न्यूज़।शंभूपुरा@ डेस्क।
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अपराध बनाम 6 आत्महत्या
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शंभूपुरा।पिछले कुछ समय से शंभूपुरा क्षेत्र की स्वच्छ छवि धूमिल होती जा रही है जिसका जिम्मेदार प्रसासन तो है ही लेकिन समाज भी है, क्योकि हम भी हमारे युवाओ को गलत राह पर जाने से रोक नही पा रहे और जब तक पता चलता है पानी सर से ऊपर निकल चुका होता है।
बात कड़वी जरूर है लेकिन सच है, हमारा शंभूपुरा जो कुछ समय पहले एक स्वच्छ छवि रखता था जिसकी आज छवि खराब होती जा रही है, छोटे से कस्बे में जुआ, सट्टा, गांजा, सुतखोरी जैसे बड़े अपराध पनप रहे, जिसको स्थानीय राजनीति श्रय दे रही तो प्रसासन इन पर लगाम लगाने में बोना साबित हो रहा, जिससे क्षेत्र में निरंतर ऐसे अपराध बढ़ते जा रहे है जिसका परिणाम है कि पिछले कुछ समय मे कि हमने करीब आधा दर्जन हंसती खेलती जिंदगियों को खो दिया, जिससे ना प्रसासन का कुछ बिगड़ा ना इन युवाओ को श्रय देंने वाले नेताओं का कुछ बिगड़ा लेकिन किसी पिता ने अपना बढ़ापे का सहारा खो दिया तो कही परिवार उजड़ गए लेकिन इस सबके पीछे कही ना कही हम सब भी जिम्मेदार है क्योकि जब प्रसासन मुखबधिर होकर देखने लग जाए तो समाज को इस ओर कदम उठाना बहुत आवश्यक हो जाता है।
देखने मे सामने आया कि पिछले करीब 1 से डेढ़ साल में ही क्षेत्र में कई बड़े बड़े अपराध पनपे ओर जिस पर स्थानीय प्रसासन लगाम नही लगा पा रहा जिसके चलते करीब आधा दर्जन से अधिक युवाओ ने जीवन के पहले पायदान में ही अपनी जिंदगियां समाप्त कर ली लेकिन अभी तक हमारा स्थानीय प्रसासन एक भी मामले में उसकी तह तक नही पहुच पाया है हाँ प्रशासनिक जांच जरूर जारी है और वह तो जारी ही रहती है, क्षेत्र में खुलेआम गांजा बिक रहा है लेकिन वह भी प्रसासन की आंख में काजल के समान ओझल हो रहा है, क्रिकेट पर जुआ सट्टा खेलकर युवा घरों को खाली करने की ओर बढ़ रहे, जो या तो अपने ही घरों में चोरियां करने को मजबूर हो रहे या सुतखोरो के लपेटे में आ रहे लेकिन क्या प्रसासन ने एक भी जुआ सट्टा लगवाने वाले को पकड़ा है नही, क्षेत्र में जितना शराब दिन में नही बिकता उससे ज्यादा शराब 8 बजे बाद बिक रही लेकिन क्या किसी शराब की दुकान पर कार्यवाही हुई यह सुनने में नही आया, मजबुरी में फंसे युवाओ का फायदा उठाकर सुतखोरो द्वारा उससे मोटी ब्याज राशि वसूलकर खोखला किया जा रहा यहाँ तक कि मौत के जिम्मेदार खुलेआम पुलिस पहरे में घूम रहे लेकिन हमारी पुलिस आज भी कुम्भकर्णीय नींद सो रही और सबूत उस पिता से मांग रही जिसने अपने लाल को खोया है, आखिर ये कैसा न्याय है।
में ये नही कहता कि पिछले समय मे क्षेत्र में बढ़े अपराधों के इस ग्राफ के लिए सिर्फ पुलिस ही जिम्मेदार है क्योकि परिवार और समाज की भी इसमे महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन प्रसासन तो इन अपराधों को रोकने के लिए ही होता है फिर यह ग्राफ रुकने के बजाय बढ़ता ही जा रहा ऐसा क्यो।
क्षेत्र में चोरियों की कितनी ही वारदाते हो चुकी, मुख्य सड़कों पर ही अधिक हुई लेकिन इसमे भी पुलिस के हाथ खाली, कई मोटरसाइकिलें उठाकर ले गए अभी तक कुछ नही हुआ, कही खुलेआम गन तान देना तो कही तलवारबाजी, कही गुंडागर्दी तो कही नेताओं का युद्ध संग्राम तो आखिर हमारे यहाँ हो क्या रहा है यह भी सोचने का विषय है।
पिछले चुनावी संग्राम से लेकर बजरी माफियाओं, भूमाफियाओं, सुतखोरो, जुआरियों, सटोरियों का पनपना कही ना कही क्षेत्र को दूसरी दिशा कि ओर ले जाता नजर आ रहा है, जिसमे प्रसासन सो रहा है तो अब जनता को जागना चाहिए अन्यथा कब हालात तूफानी बन जाएंगे पता ही नही चलेगा, शंभूपुरा को जम्मू कश्मीर बनने से रोकना होगा नही तो वह दिन भी दूर नही जब मुख्य चोराये पर हाथ मे बंदूक या तलवार लिए खड़ा कोई ललकार रहा होगा और उस समय चाहे पुलिस हो या आमजनता उसे दूसरे वाले रास्ते से गुजरना होगा।
छोटे से इस कस्बे में जिसे लोग श्याम नगरी ने नाम से जानते है यहाँ इन सब बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के लिये अब पुलिस कप्तान को भी इस ओर अपना ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता है, ताकि आम जनता जो न्याय कि गुहार लगाये बैठी है जिनकी आंखे न्याय के इंतजार में सूखने लगी है उन्हें कुछ आस मिल सके।