Invalid slider ID or alias.

सवाईमाधोपुर-गौ सेवकों का प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस 17 मार्च को, अनुमति नहीं मिलने से भारी आक्रोश।

 

वीरधरा न्यूज़। बौंली/ बामनवास@ श्री श्रद्धा ओम त्रिवेदी।

बोंली। गौ सेवा समिति जिला अध्यक्ष गोविंद नारायण शर्मा ने बताया गो प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस 17 मार्च 2025 रामलीला मैदान दिल्ली में गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कर गोहत्या बंदी के लिए एक दिन की प्रतिक्षा हेतु निर्धारित था। शासन प्रशासन ने रामलीला मैदान की अनुमति 10 मार्च को दी और फिर 13 मार्च को लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देकर निरस्त कर दी। यह समझ से परे है कि लॉ एंड ऑर्डर के बिगड़ने की बात कहाँ से आ गई।
गोभक्तों ने कभी भी लॉ एंड ऑर्डर को ना बिगाड़ा था और ना किसी कार्यक्रम में आज तक बिगड़ा है। फिर भी इस कारण हमारी तैयारी एवं गोभक्तो के ट्रेन टिकट्स, बस बुकिंग सहित सब कैंसिल करना पड़ा है जिसके कारण गोभक्तों में रोष, असंतोष एवं पीड़ा है। सदन में 44 पार्टीयों के सांसद उपस्थित है लेकिन विपक्ष सहित सभी पार्टी गो के विषय पर सकारात्मक नहीं हैं। अभी तक और जिस बीजेपी पार्टी की केंद्र में सरकार गोभक्तों ने बनायी है आज वो गौ के मुद्दे पर पूर्णतः चुप्पी साधे है, जिस नरेंद्र मोदी का मनमोहन सरकार के समय कलेजा काँपता था गोहत्या देखकर और वो केंद्रीय कानून चाहते थे, वो व्यक्ति अपने तीसरे कार्यकाल (11 साल) सत्ता में रहकर भी गौ को राष्ट्रमाता घोषित कर गोहत्या बंद स्वयं नहीं कर रहा। यहाँ तक कि जब गोभक्त उसके राज्य में अपनी बात तक कह ना सके शांतिप्रिय ढंग से, प्रतीक्षा सभा ना कर सके रामलीला मैदान में, तो यह अपमानित करने वाला है गौमाता के कार्य को।
प्रधानमंत्री के निवास सहित PMO को 22 फरवरी को पहला पत्र और 1 मार्च को प्रथम रिमाइंडर, 8 मार्च को दूसरा तथा 15 मार्च को तीसरा रिमाइंडर संबंधित गौमाता एवं गोवंश के विषयक पत्र सहित भेजा जा चुका है पर कोई जवाब आज तक नहीं आया है। इसी के साथ विपक्ष सहित सभी राजनीतिक दलों को 17 मार्च तक गौमाता के विषय पर अपना मंतव्य स्पष्ट करने को पत्र लिखे गए है, संवाद मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है किंतु इस विषय पर किसी का मुँह नहीं खुल रहा।
चारो पीठों के परम पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य गणों के आशीर्वाद से अभिसिंचित गो प्रतिष्ठा आंदोलन के क्रम में हमारी परमिशन को गौण करके, रद्द करना गोभक्तों के प्रयासों, उनकी पुकार को दबाना है। शासन प्रशासन की हठधर्मिता है । 17 मार्च तो गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कर गोवंश हत्या बंदी कानून के लिए ज्योर्तिमठ के जगद्गुरु शंकराचार्य उत्तरआम्नाय पूज्य अविमुक्तेश्वरानंद जी सहित चारो पीठों के शंकराचार्य, गौ गंगा कृपाकांक्षी पूज्य गोपाल मणि जी सहित साधु संत गोभक्त प्रतिक्षारत हैं। 17 मार्च शाम 5 बजे तक यदि गौमाता के विषय पर चुप्पी नहीं तोड़ी गई तो अब गोभक्त गोरक्षकों का धैर्य आने वाले समय में जवाब देगा।

 

Don`t copy text!