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जयपुर-राजस्थान पुलिस के समर्थन में उतरे हनुमान बेनीवाल और रविंद्र सिंह भाटी।

 

वीरधरा न्यूज़।जयपुर@ श्री अक्षय लालवानी।

जयपुर।राजस्थान में हर बार आमजन के होली मनाने के अगले दिन राजस्थान पुलिस जश्न मनाती है। लेकिन इस बार प्रदेश के कई जिलों में पुलिस के जवानों ने होली के जश्न से दूरी बना ली है। वेतन विसंगति और प्रमोशन को लेकर सरकार की अनदेखी से नाराज होकर पुलिसकर्मियों ने बहिष्कार कर दिया।
शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने राजस्थान पुलिस की आवाज को बुलंद करते हुए भजनलाल सरकार से आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस के जवानों की मांगों को गंभीरता से लें और उन पर सकारात्मक निर्णय लेकर पुलिसकर्मियों को उनके अधिकार दिलाएं, ताकि वे भी होली के इस पावन पर्व को उल्लासपूर्वक मना सकें।
वहीं, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि आज पुलिसकर्मी होली का बहिष्कार कर रहे है क्योंकि राजस्थान सरकार डीपीसी से प्रमोशन, मैस भत्ता बढ़ाने सहित पुलिस कार्मिकों की अन्य मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं ले रही है। मेरी राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील है कि पुलिस कार्मिकों की मांगो का अविलंब सकारात्मक समाधान निकालें क्योंकि सरकार की हठधर्मिता की वजह से ही साल में एक बार आने वाले होली जैसे पावन पर्व को पुलिस कार्मिक नहीं मना रहे है।
गौरतलब है कि हर साल पुलिस लाइन और थानों में जहां रंग-गुलाल उड़ते थे और डांस-गीतों का माहौल होता था, इस बार वहां सन्नाटा पसरा हैं। हालांकि कुछ जिलों में पुलिसकर्मी होली खेलते हुए भी नजर आए। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर चित्तौड़गढ़ सहित तमाम जिलों की पुलिस लाइन खाली रही। वहीं, कोटा, भरतपुर, पाली, सवाई माधोपुर में पुलिसकर्मियों ने पुलिस अधीक्षकों के साथ होली खेली। डीजे की धुन पर जमकर डांस भी किया।

विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा:

होली उल्लास और आपसी भाईचारे का पर्व है। हर वर्ष जब आमजन रंगों में सराबोर होकर इस उत्सव को मनाते हैं, तब राजस्थान पुलिस के जवान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए समाज की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। परंपरा के अनुसार, धुलंडी के अगले दिन वे अपना होली उत्सव मनाते हैं, लेकिन इस बार प्रदेश में हमारे जवानों ने अपनी जायज मांगों को लेकर इस उत्सव से दूरी बना ली है।’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘हाल ही में राजस्थान विधानसभा सत्र के दौरान भी इन मांगों को सरकार के समक्ष पुरजोर तरीके से उठाया गया था। आज, जब हमारे सुरक्षा प्रहरी स्वयं उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, तो यह सरकार के लिए आत्मचिंतन का विषय होना चाहिए। पुलिसकर्मी हमारी सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, और उनके अधिकारों की रक्षा करना हमारी नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

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