वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।अनूसूचित जाति उप योजना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा पोषित अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर प्रायोजित एवं कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ द्वारा आयोजित गृह वाटिका प्रबंधन पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें भदेसर पंचायत समिति क्षेत्र कन्नौज गांव से 50 अनूसूचित जाति कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतनलाल सोलंकी, कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने केविके की गतिविधियो एवं योजना के उदेश्यो एवं लाभ से अवगत कराते हुए किसानों कों गृह वाटिका प्रबंधन एवं प्रशिक्षण का महत्व, गृह वाटिका हेतु जैविक खादों का प्रयोग, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विभिन्न विधियां व जैविक खाद वर्मीवाश तैयार करने की प्रायोगिक जानकारी दी। वर्मी कम्पोस्ट यूनिट में कृषक महिलाओं को तैयार खाद व केचुएं अलग करना तथा बेड़ तैयार करने का तरीका समझाया। पोषाहार वाटिका का महत्व एवं उपयोगिता समझाई व भोजन में संतुलित आहार, सब्जी व फल के उपयोग करने की सलाह दी।
गिरधारी लाल जागेटिया, सरपंच प्रतिनिधि, ग्राप पंचायत, कन्नौज ने गृह वाटिका में सब्जियो का महत्व एवं ग्राम पंचायत द्वारा दिये जाने वाले अनुदान व योजनाओ के बारे में विस्तृत रूप से बताया।
दीपा इन्दौरिया, कार्यकम सहायक ने गृह वाटिका का रेखाकंन तथा दैनिक आहार/थाली में संतुलित अनाज, सब्जी एवं फल उत्पादन की उन्नत तकनीकी एवं जैविक खादो के उपयोग के बारे में हेतु उन्नत तकनीकी की जानकारी दी। साथ ही प्रशिक्षण में भाग लेने वाली महिला कृषको को पोषाहार वाटिका विकसित करने हेतु महिलाओं को मिर्च, करेला, तुरई, टमाटर, बैंगन आदि की पौध एवं नींबू के पौधे भी उपलब्ध कराये गये। शंकर लाल नाई, सहायक कृषि अधिकारी (सेवानिवृत) ने पोषाहार वाटिका में खरपतवार नियत्रंण व निराई गुड़ाई के महत्व पर प्रकाश डाला।
अंत में केन्द्र के कार्यक्रम सहायक दीपा इन्दौरिया, ने प्रशिक्षण में उपस्थित अनूसूचित जाति कृषक एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद अर्पित किया।