वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ डेस्क।
चित्तौड़गढ। सत्संग मंडल की अनवरत 30 साल से चल रही परंपरा अनुसार शहर से इस बार भी गढ़बोर श्री चारभुजाजी पैदल यात्रा रवाना हुई। गांधीचौक से यात्रा के पहले पड़ाव झांतलामाताजी तक करीब 10 किमी के रास्ते में 20 से अधिक जगह पदयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत हुआ।
यह पदयात्रा नंदलाल ईनाणी, उद्धव दास रोगानी और दुर्गाशंकर शर्मा किला वालो ने 1995 से बाराबंकी हार्डिया कोल जंगल के महाराज जी परम् पूज्य स्वामी रामदास जी महाराज की प्रेरणा से शुरू की गई जो अनवरत जारी है।
पदयात्री सहित अन्य श्रद्वालु तय समय गुरुवार सुबह 8 बजे गांधीचौक में एकत्र हुए। जहां सभी ने मुरलीधर मंदिर में सामूहिक दर्शन के साथ भजन गाते हुए ठाकुरजी को रिझाया। मंदिर के बाहर संक्षिप्त समारोह में पूर्व नगर परिषद चेयरमैन महेश ईनाणी, पार्षद हरीश ईनाणी, एडवोकेट सत्यनारायण ईनाणी, ऋषि ईनाणी, पतंजलि जिला प्रभारी योग गुरु सुरेश शर्मा,मोक्षधाम समिति के ओमप्रकाश बजाज, सुनील कुमार पूर्व पार्षद कन्हैया लाल वैष्णव, रमेश अग्रवाल, जगदीश ईनाणी, जितेंद्र रोगानी, गोविंद गोपाल ईनाणी,रमेश ईनाणी, मुरली ईनाणी, कैलाश तोषनीवाल, विदेश जीनगर, हिन्दू संग़ठन से जुड़े श्रवण सोनी सहित कई लोगों ने पदयात्रियों का अभिनंदन किया। कैप्टन सुरेश ईनाणी ने पैदल यात्रा संचालन करते हुए यात्रा शेड्यूल व रूट आदि की जानकारी दी। सत्संग व्यवस्थापक 85 वर्षीय उद्धवदास रोगानी व 65 वर्षीय भगवती प्रसाद शर्मा किले वाले समेत कई श्रद्वालु लगातार 30 वें साल पदयात्रा में शामिल हुए। गांधीचौक से रवानगी के साथ ही पदयात्रा के स्वागत का सिलसिला शुरू हो गया। पदयात्री सेना से रिटायर कैप्टन व मार्बल उघमी सुरेश ईनाणी ने बताया कि पदयात्री चाहे किसी उम्र का या पेशे से जुड़ा हो सफेद कुर्ता, धोती के साथ सिर पर एक रंग की पगड़ी और गले का दुपट्टा ओढ़े रहना पूरी यात्रा में इनका यही ड्रेस कोड रहता है उनकी स्वयं की यह दसवीं बार पदयात्रा पर है।पदयात्रा में उद्धवदास रोगानी, कैप्टन सुरेश ईनाणी, नारायण बल्दवा, हरनारायण अजमेरा, मुकेश लोंगड, श्यामदास वैष्णव,श्याम ईनाणी, गोविंद माहेश्वरी, दीपक तोषनीवाल,अरविंद सोमानी बस्सी,रामेश्वर चौधरी, ताराचंद खटीक, शिवनारायण भट्ट, ऊँकारदास वैष्णव, राजकुमार सेन,ओमपकाश सोनी, प्रेम सालवी,अनिल टेलर, आशीष नुवाल, सत्यनारायण कुमावत, विनायक,संदीप सोनी,मुकेश काबरा, सत्यनारायण बाथरा, भंवरलाल कुमावत सहित अन्य पदयात्री शामिल हुए।यात्रा का पहला पड़ाव कपासन मार्ग स्थित झांतला माताजी तक चलता रहा। करीब 20 से अधिक जगह लोगों व विविध संगठनों ने जत्थे को रोक रोककर आत्मीय स्वागत किया। इससे बाजार में फूलों की चादर बिछ गई। पदयात्री व साथ चल रहे श्रद्वालु चिरपरिचित भजनों के साथ छोगाला की जय जयकार करते चल रहे थे। पदयात्रा में बड़ी संख्या में परिजन व अन्य लोग झांतलामाताजी तक विदा करने गए। यहां भोजन व विश्राम के बाद यात्रा दोपहर तीन बजे बाद बनाकिया के लिए रवाना हुई।