वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ श्रीमती दीपिका जैन।
चित्तौड़गढ़। विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने गुरूवार को विधानसभा के जारी बजट सत्र में राजस्थान की जनता, सरकारी कर्मचारीयो व पेंशनर्स को आरजीएचएस स्कीम में बायोमेट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता को लेकर हो रही असुविधा की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए सदन में प्रश्न उठाया जिसके जवाब में उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने बताया कि सतर्कता विभाग द्वारा कुछ प्रकरणों में योजना के दुरुपयोग की शिकायतों को देखते हुए आरजीएचएस कर्मियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य की गई थी लेकिन उसमें अत्यंत गंभीर एवं 75 साल से ऊपर के कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता नहीं है।
इस पर विधायक आक्या ने पूरक प्रश्न करते हुए कहा कि अधिकांश निजी अस्पतालों एवम मेडिकल स्टोर पर आरजीएचएस कर्मियों को दवाइयां नहीं दी जाती है और योजना के तहत भर्ती भी नहीं किया जाता है। अनेक बार यह भी देखने में आता है कि उनको स्कीम का फायदा नहीं दिया जाता है और यह कहा जाता है कि यह स्कीम तो बंद होने वाली है। सरकार स्पष्ट करें कि सरकार इस योजना को भविष्य में निरंतर जारी रखेगी या नहीं, उन्होने यह भी पूछा की क्या सरकार इस योजना को बंद करने वाली है यह स्पष्ट करे? इस पर उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने जवाब देते हुए बताया कि सरकार की मंशा इस योजना को किसी भी प्रकार से बंद करने की नहीं है। इस पर विधायक आक्या ने मूल प्रश्न के साथ दूसरा पूरक प्रश्न करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी कम से कम 30 से 40 वर्ष की राजकीय सेवा पूर्ण करने के पश्चात सेवानिवृत होता है, और वर्तमान में 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति बीमारी से ग्रसित होने लगते है तो क्या सरकार बायोमेट्रिक उपस्थिति में 75 वर्ष से उपर आयु वर्ग के लोगो को जो छूट दी गई है उसे घटाकर 60 वर्ष या उससे ऊपर करने की योजना रखती है या नहीं क्योंकि अधिकांश व्यक्तियों को इससे असुविधा होती है और इसमें भ्रष्टाचार भी हो रहा है। इस पर उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने जवाब देते हुए कहा कि गंभीर अवस्था में भर्ती मरीज के लिए इस योजना में बायोमेट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता नहीं है साथ ही उप मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कोई निजी अस्पताल या मेडिकल स्टोर इस योजना के तहत लाभ देने से मना करते हैं तो गलत है, सरकार को ऐसी किसी प्रकार की कोई शिकायत प्राप्त होने पर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।