वीरधरा न्यूज़।आकोला@ श्री शेख सिराजुद्दीन।
आकोला। ‘धर्म जीवन का प्राण है, जीवन का आधार है। हर एक प्राणि सुख चाहता है, दुःख की चाहना किसी की नहीं होती। सबके सब सुख की ओर ही प्रयाण करते हैं। सुख की प्राप्ति के लिए धर्म आवश्यक है। वर्तमान जीवन साधन से युक्त है, साधना से नहीं। हमारे जीवन में ऐसे कई तत्व है जो धर्म परक है। ये विचार यहां श्री नाथकंवर स्मृति संस्थान में शुक्रवार को प्रवचन सभा को सम्बोधित करते हुए मेवाड़ भास्कर, उपप्रवर्तक युवा मनीषी परम् पूज्य गुरुदेव श्री कोमल मुनि जी म.सा. करुणाकर ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि, ‘क्षमा, दया, वात्सल्य, सहयोग भावना, पर पीड़ा हरण का भाव पैदा करना ही आत्मतत्व है जिससे शाश्वत सुख की प्राप्ति होती है। अपने आप को नैतिकता व सदाचार में प्रवत्त करना ही मौलिक धर्म है। धर्म की मौलिक अवधारणा आत्म शुद्धि है। बाह्य आचरण सही नहीं है तो आंतरिक आचरण भी सही नहीं हो सकता है। प्रवचन सभा को सम्बोधित करते हुए नवदीक्षित हर्षित मुनि ने कहा कि, जो अंतर तक उतर गया उसका उद्धार हो गया। यदि अपनी संतानों को धर्म शासन को सौंप दिया भी जाये तो कुल परम्परायें समाप्त नहीं होती है। केवल शिक्षा से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व नहीं बना सकता इसके लिए संस्कारों का होना बहुत आवश्यक है। आज बच्चों को शिक्षा देने की होड़ तो लगी है पर उनमें संस्कारों का बीजारोपण करने में उदासीनता है।’ संतों के दर्शन करने मंगलवाड़, इंटाली, फतहनगर आदि स्थानों से श्रद्धालु पधारे। स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, आकोला के अध्यक्ष लादूलाल हिंगड़ ने सभी का आभार व्यक्त किया।