मुस्कुराना हमारी आध्यात्मिक पूंजी है और इस योग से कई तरह की बीमारियां स्वतः ही ठीक हो जाती है: योग गुरू।
वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। आज हर व्यक्ति बाहर से युवा दिखना चाहता है लेकिन हमें भीतर से भी जवान होना पड़ेगा। आऊट लुक से कही ज्यादा जरूरी भीतर के सिस्टम को जवान रखना है। सिर्फ पन्द्रह मिनिट के योगाभ्यास से हम अपने आंतरिक सिस्टम को मजबूत बना सकते है। यह विचार योग गुरू लाल बिहारी सिंह ने गुरूवार दोपहर को 71वे सहकारिता सप्ताह के शुभारंभ के मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये।
योग गुरू ने इस मौके पर कहा कि हमें हर हाल में मुस्कुराने की आदत डालनी चाहिए। जीवन में हर क्षण को आनंद में जीना चाहिए। मुस्कुराना हमारी आध्यात्मिक पूंजी है और इस योग से कई तरह की बीमारियां स्वतः ही ठीक हो जाती है। उन्होने कहा कि पेट सम्बन्धि परेशानियों से अधिकतर बीमारियां होती है और बीमारियां हमारे जीवन का आनंद खत्म कर सकती है। हार्मोनल डिसआर्डर न होने दे तथा उसे बैलेन्स बनाये रखे। डिसआर्डर होने पर दवाई ही एकमात्र उपचार होता है जिसे जीवन भर भी लेना पड़ सकता है। योग गुरू ने कहा कि भीतर के सिस्टम यानि इम्यून को स्ट्रोंग रखे ताकि हम भीतर से भी जवान रहे।
उन्होने शरीर के संदर्भ में गायत्री मंत्र की उपयोगिता को भी व्यक्त किया। पारंपरिक भारतीय ‘‘पंचकोष विकास’’ सिद्धांत में बच्चों के शारीरिक, प्राणमय, मानसिक, बौद्धिक और चेतना संबंधी विकास पर जोर दिया गया है। पंचकोश योग विद्या नितांत ही सरल व सहज है और इसे कोई भी व्यक्ति अपने दैनंदिनी के साथ जीवन में सम्मिलित कर सकता है। उन्होंने कहा कि योग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्वयं का रोग से लड़ने के प्रति क्षमता बढ़ाता है। उन्होंने लोगों से योग को अपने दिनचर्या में शामिल करने की अपील की। मेडिटेशन से स्ट्रेस को दूर किया जा सकता है। मैं कभी ना थकने वाली चीज की सोच को रखकर हम हमेशा फ्रेश रह सकते है। मैं अद्वितीय और समस्त षक्तियों से परिपूर्ण हूं, यही सकारात्मक सोच हमें सकारात्मक एवं ऊर्जावान बनाता है तथा षांति व आनंद प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि बाबूजी के नाम से मशहूर योग गुरू लाल बिहारी सिंह ने गायत्री महाविद्या के अन्तर्गत योग विद्या, पंचकोश साधना के माध्यम से आत्म अनुसंधान आरंभ किया और चेतना के उत्कृश्ट शिखर पर पहुंचे।
स्वागत उद्बोधन देते हुए अरबन को ऑपरेटिक बैंक के एमडी वंदना वजीरानी ने कहा कि सहकारिता होनी चाहिए लेकिन वह सकारात्मक दिशा में एवं विकसित भारत के दृश्टिकोण में होनी चाहिए। सैनिक एवं देशभक्ति के लिए कार्य करने वाले जब एक दूसरे से हाथ मिलाकर आगे बढ़ेंगे तो वह सहकारिता हमारे देश के लिए हितकारी होगी। उन्होने कहा कि भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने भी नई पहल करते हुए ‘‘सहकारिता आंदोलन को कैसे सशक्त बनाया जाये’’ विशय पर आमजन के विचार लेने प्रारंभ किया है। 71वे सहकारिता सप्ताह के तहत रोजाना अलग अलग विशय पर कार्यशाला आयोजित की जायेगी। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए अरबन बैंक के पूर्व चैयरमेन विमला सेठिया ने सहकारिता के साथ योग पर भी प्रकाश डाला।
समायोजन बेहद जरूरी
योग गुरू ने कहा कि हमें विरासत को बचाये रखना है और हर अच्छी चीज को सीखना चाहिए फिर चाहे वो बच्चों से ही क्यों ना सीखनी पड़े। कभी कभी बच्चों से भी काफी कुछ अच्छा सीखने को मिल जाता है। आज की पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी दोनों में सामंजस्य आवश्यक है। आज की पीढ़ी को दोस्त बनाकर रखना चाहिए। घर से बेहतर बाहर ना तो अच्छे दोस्त मिलेंगे और ना ही अच्छी सलाह मिलेगी। जब घर में उचित वातावरण नही मिलता है तो वह अपने मन की बात कहने के लिए बाहर के व्यक्ति का सहारा लेता है जो कभी कभी गलत हो जाता है।
इस अवसर पर संचालक गण राधेश्याम आमेरिया, कल्याणी दीक्षित सहित शरद निगम, श्याम वंगानी रतन लाल बोहरा सत्यनारायण चेचानी इत्यादि उपस्थित थे।