वीरधरा न्यूज। आबुरोड़@ श्री महावीर चन्द्र।
आबूरोड।श्री 1008 वर्धमान तीर्थक्षेत्र, सियावा आबू रोड राजस्थान 23 और 24 अक्टूबर 2024 को, दिगंबर जैन समुदाय ने एक विशेष दीक्षा समारोह का आयोजन किया, जिसमें कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं। इस अवसर पर, प. पू . क्षुल्लक श्री सुलग्न सागरजी महाराज की मुनि दीक्षा एवं बाल ब्रह्मचारिणी पिंकी दीदी की क्षुल्लिका दीक्षा, परम पूज्य बालयोगी आचार्य भगवन श्री सुरदेव सागरजी गुरुदेव के कर कमलों से हुई। इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालु एकत्रित हुए, जिन्होंने इस दिव्य क्षण का गवाह बनने के लिए उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह समारोह न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि यह अटूट समर्पण और तप की भावना को भी उजागर करता है।
इस विशेष समारोह में, नवदीक्षित मुनि श्री को करुणासागरजी एवं क्षुल्लिका माताजी को कर्मठश्री माताजी नाम दिए गए। यह दीक्षा प्रक्रिया, जिसमें संयम, तप और साधना के लिए एक नई यात्रा की शुरुआत होती है, समुदाय में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है।यह आयोजन, जैन धर्म के मूल सिद्धांतों और मान्यताओं के प्रति लोगों की आस्था को और भी मजबूत करता है।
आध्यात्मिक उन्नति के इस क्रम में, आचार्य श्री द्वारा आर्यिका केवल्यश्री माताजी को गणिनी पद प्रदान किया गया। यह नियुक्ति न केवल उनके योगदान और ज्ञान के प्रति समुदाय की मान्यता का प्रतीक है, बल्कि जैन समाज में उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व की आवश्यकता को भी दर्शाती है। उनकी शिक्षाएँ और मार्गदर्शन जैन समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, जो कि साधना और सेवा के मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस प्रकार, 23 और 24 अक्टूबर का यह आयोजन दिगंबर जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह न केवल दीक्षा प्राप्त करने वालों के लिए बल्कि समस्त जैन समाज के लिए एक उत्सव है, जो श्रमण धर्म के विकास, सहयोग, समर्पण, साधना एवं एकता का संदेश फैलाएगा तथा निश्चित रूप से आने वाले समय में एक नई दिशा और उद्देश्य के साथ जैन धर्म की प्रेरणा स्रोत बनेगा।