सिरोही-शान्तिवन तलहटी में पहुचे राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जब हम शांत होते हैं तभी हम दूसरों के प्रति प्रेम, शांति का भाव रख सकते: राष्ट्रपति।
वीरधरा न्यूज.। आबुरोड़@ श्रीमहावीर चन्द्र।
आबूरोड। शान्तिवन तलहटी में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने ओम शांति के साथ संबोधन के साथ अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि आज इस ग्लोबल समित में शामिल होकर बहुत खुशी हो रही है। आत्मा स्वच्छ, स्वस्थ हो तो सबकुछ हो जाता है। मान सरोवर में शिव बाबा के रूम में मुझे कुछ समय बिताने का समय मिला। साथ ही राजयोगी ब्रह्मा कुमार भाई बहनों के साथ समय बिताने का समय मिला। आज राजयोगी निर्वर भाई की कमी महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब अपने कर्म को शुद्ध और सात्विक बनाकर मन को संवारने का मार्ग है। स्वच्छता सिर्फ बाहरी नही हमारे विचारों में भी होनी चाहिए। परमात्मा विचित्र है हम भी विचित्र है। परमात्मा स्वच्छ स्वरूप है हम भी स्वच्छ स्वरूप है। धरती पर आकर आत्मा में दाग लग जाते हैं। सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक सभी आपस में जुड़े हुए हैं इन सभी रूप में हमारा स्वस्थ होना जरूरी है। संत कबीर के दोहा के बुरा जो देखन में मै चला.. पर बोलते हुए कहा कि जब तक हमारा मन स्वच्छ, साफ नही होगा, जीवन में परिवर्तन नहीं होगा।राष्ट्रपति ने कहा कि संस्था द्वारा यौगिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए कहा जाता है जैसा अन्न वैसा मन। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हुए हैं। स्वच्छ जल को लेकर भारत सरकार द्वारा सराहनीय प्रयास किए गए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रह्मा कुमारी जेसे संस्थान समाज में स्वच्छ, स्वस्थ समाज के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
जब हम शांत होते हैं तभी हम दूसरों के प्रति प्रेम, शांति का भाव रख सकते हैं। राजस्थान के राज्यपाल ने कहा कि यहां आकर आज बहुत आनंद की अनुभूति हो रही है। आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि हम अपने आप को जानते हुए कार्य करे तो सब सफल हो। ब्रह्मा कुमारीज बहुत ही अच्छे विषय पर वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित कर रही है। समाज में नैतिकता का पतन हुआ है इसे में आध्यात्मिकता व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय संस्कृति में व्यक्तिव विकास, जीवन की स्वच्छता, विचारो की स्वच्छता पर जोर दिया गया है। भारतीय संस्कृति वशुधेव कुटुम्वकम पर आधारित है। सभी सुखी रहे, सभी निरोग रहें।