वीरधरा न्यूज़। डूंगला@ श्री मोहन दास वैरागी।
बड़ीसादड़ी। मंजिल चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, अगर मन में उसे पाने की अदम्य और दृढ इच्छा शक्ति हो तो उसे मंजिल हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता है। समाज में अधिकांश लोग सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए जीते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने परिवार के साथ – साथ समाज को कुछ नायाब तोहफा देने के लिए भी जीते है। जिसे समाज कभी भूल नहीं सकता है। वे अपना जीवन समाज व प्रकृति के लिए कुर्बान कर देते हैं। जी हां कुछ ऐसा ही करने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। क्षेत्र के बोहेड़ा निवासी शिक्षक प्रदीप वैष्णव।
शिक्षक प्रदीप वैष्णव बरसों से अपनी मेहनत, लगन एवं पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के चलते अब तक 13 हजार पौधे लगा चुके है और 7 हजार पौधे सार्वजनिक स्थानों पर लगाने के लिए निःशुल्क वितरित कर चुके हैं। शिक्षक प्रदीप वैष्णव का संकल्प है कि अपने जीवन काल में एक लाख से अधिक पौधे लगा कर ही रहेंगे। शिक्षक वैष्णव पिछले कई वर्षों से पर्यावरण के प्रति समर्पित जीवन जी रहे हैं। इन्होंने कई सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाने के साथ-साथ अपने फार्म पर भी 2 हजार से अधिक पेड़ लगा दिए हैं। बोहेड़ा से बड़ीसादड़ी जाते समय रोड़ के किनारे इनका आवास है, जहां पर हरियाली एवं सघन वृक्षारोपण को देख कर हर किसी का मन प्रफुल्लित हो उठता है। गर्मी में यहां से गुजरने वाले प्रत्येक राहगीर को सुकून के साथ ठंडक का एहसास भी होता है। शिक्षक प्रदीप वैष्णव पौधों को नर्सरियों से अपने स्तर से खरीद कर लाते हैं और उन्हें स्कूल, मंदिर, मोक्षधाम आदि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को लगाने के लिए प्रेरित करते हुए वितरित करते हैं। यही नहीं शिक्षक वैष्णव लगाए गए पौधों की देखभाल भी करते नजर आते हैं। बोहेड़ा मोक्षधाम में लगे सघन वृक्षारोपण का श्रेय गांव वाले पर्यावरण प्रेमी शिक्षक प्रदीप वैष्णव को देते है। शिक्षक प्रदीप वैष्णव की मेहनत से आज बोहेड़ा का मोक्षधाम सघन वृक्षारोपण से लह लहा रहा है। यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुकून का एहसास होता है। इनके आवास पर लगाए गए पेड़ों में कई पेड़ औषधीय गुण व विलुप्त प्रजाति वाले एवं फलदार भी हैं। आवास पर सघन वृक्षारोपण होने से यहां पर कई तरह के पंछियों ने भी अपने रैनबसेरा बना रखा हैं। सघन वृक्ष लगा होने से इनका आवास दिन भर पक्षियों के कलरव से गूंजता रहता है। शिक्षक प्रदीप वैष्णव बताते हैं कि वे कभी भी अमरुद अनार और फलदार वृक्षों पर झाली नहीं लगाते हैं। बगीचे में लगे फलदार पौधों पर लगे फल से रोज बड़ी संख्या में परिंदे आनंद के साथ अपनी क्षुधा मिटाते देखे जा सकते है। प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर शिक्षक प्रदीप वैष्णव अपने परिवार सहित वृक्षों की पूजन करते हैं एवं रक्षाबंधन पर्व पर वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधकर वृक्षारोपण अभियान को और गति देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना के साथ सामर्थ्य भी मांगते है।
जीवदया की अनूठी मिसाल
यही नहीं दूसरी ओर शिक्षक वैष्णव पर्यावरण के साथ-साथ जीव दया की अनूठी मिसाल भी पेश करते हैं। वे रोज पक्षियों एवं श्वानों को नियमित भोजन देते है। जब श्वानों के बच्चे छोटे होते हैं, तो उनको ये दूध भी पिलाते हैं। ये जब भी घर से निकलते हैं तो अपने साथ दूध, बिस्किट, रोटी व खिचड़ी आदि खाद्य सामग्री ले कर निकलते है। रास्ते में मिलने वाले ऐसे जीवों की मदद करते हुए पक्षियों व श्वानों आदि की भूख मिटाते चलते है। इनके पक्षी प्रेम व जीव दया की वजह से अनेक प्रकार के परिंदों के साथ कौओं की विलुप्त होती प्रजाति भी बड़ी संख्या अपनी भूख मिटाने रोज इनका इंतजार करते है। शिक्षक वैष्णव रोज इन्हें बड़े ही इम्तिनान से भोजन कराते है। जीव, प्रकृति, पर्यावरण एवं परिंदों के लिए जीने वाले इस शिक्षक को हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर उपखंड स्तर पर एवं पूर्व मे भी कई कार्यक्रमों में सम्मानित किया गया है। शिक्षक प्रदीप वैष्णव का मानना है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अपना कर्तव्य समझते हुए वृक्षारोपण में अधिक से अधिक योगदान देना चाहिए। पेड़ों एवं पक्षियों आदि की मदद करने की वजह से इनके नलकूप में आज दिन तक पानी कम नहीं हुआ। शिक्षक वैष्णव इसे ईश्वर की विशेष कृपा मानते है। अपने स्कूल के जरुरतमंद विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष स्वेटर व स्टेश्नरी आदि सामग्री भी प्रदान करते है। अपने गांव में होने वाले प्रत्येक सामाजिक व धार्मिक आयोजनों में आर्थिक सहयोग भी प्रदान करते रहते हैं। धून का धनी यह पर्यावरण प्रेमी शिक्षक सदैव शिक्षा के साथ – साथ पेड़ लगाने एवं पेड़ बचाने के लिए प्रयत्नशील नजर आते है। जिस तरह से शिक्षक प्रदीप वैष्णव बरसों से जीव, प्रकृति, परिंदों व पर्यावरण के लिए जो अनूठा प्रयास कर रहे हैं। वह काबिले तारीफ है। प्रकृति का कर्ज चुकाने की बरसों से जो मुहिम शिक्षक प्रदीप वैष्णव ने चला रखी है वह हम सभी के लिए प्रेरणादाई है। हमें भी पर्यावरण एवं प्रकृतिप्रेमी शिक्षक प्रदीप वैष्णव से प्रेरणा लेकर अधिक से अधिक पेड़ लगाने के सार्थक प्रयास करने चाहिए। देश के हर नागरिक को शिक्षक प्रदीप वैष्णव के नक्शे कदम पर चलना चाहिए जिससे आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ रहे तापमान और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निजात मिल सकें।