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बामनिया और गिलूण्ड विद्यालय मे बच्चों के सर मौत का तांडव, अफसर खा रहे एसी कि हवा, हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा।

 

वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़ @डेस्क।

चित्तौडग़ढ़। सरकार चाहे शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कितने ही प्रयास कर ले ये निचले स्तर पर आकर खोखले साबित हो ही जाते है, क्योंकि एसी कमरे मे बैठे विभागीय अफसरों को कहा चिंता पड़ी कि गाँवो मे जाकर विद्यालयों कि हो रही दुर्दशा को देखें और समय रहते उचित समाधान करें।
हाल ही मे जिले के कुछ विद्यालयों मे क्षतिग्रस्त कक्षा कक्षों कि वजह से कुछ अप्रिय घटनाए भी हुई लेकिन फिर भी इन अधिकारियो के कानो जु तक नहीं रेंग रही ना ही किसी ने ऐसी घटना से सबक लेना उचित समझा।
चित्तौडग़ढ़ पंचायत समिति के शम्भूपुरा पंचायत के बामनिया गांव मे एक मात्र सरकारी विद्यालय है जिसकी छत पिछले 3 सालो से क्षतिग्रस्त है आये दिन ऊपर से प्लास्तर गिर जाता है, जिससे कही ना कही बच्चे मौत के साये मे पढ़ने को मजबूर है, ऐसे मे कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को विद्यालय भेजना बंद कर दिया ऐसे मे विद्यालय मे जब बच्चों कि संख्या घटती है तो विभाग विद्यालय स्टाफ का दोष निकालता है जबकि विद्यालय द्वारा कई बार ग्राम पंचायत और विभाग को अवगत करवाया लेकिन 3 साल से स्थिति जस कि तस बनी हुई है यानी स्थिति साफ है कि दोनों जिम्मेदार विभाग किसी बड़े हादसे के इंतजार मे बैठे है।
ऐसी ही हालत निकटवर्ती गिलूण्ड पंचायत मुख्यालय पर स्थित राजकीय महात्मा गाँधी उच्च माध्यमिक विद्यालय गिलूंड कि है जहाँ कक्षा कक्ष जर्जर हालात मे है, छतो से प्लास्तर के टुकड़े कभी भी गिर जाते है, ऐसे हालात को 2 साल से भी ज्यादा समय हो गया, विद्यालय परिवार द्वारा कई बार ग्राम पंचायत और शिक्षा विभाग के अधिकारियो को समस्या से अवगत करवाया लेकिन इस और अभी तक किसी ने ध्यान देना उचित नहीं समझा, जिम्मेदारो कि लापरवाही का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। सवाल यह भी उठता है कि आखिर जिम्मेदार इतने बेपरवाह कैसे हो सकते है और यहाँ कोई हादसा हो जाता है तो कौन जिम्मेदार होगा।
बता दे कि बामनिया और गिलूण्ड दोनों विद्यालयों मे ऐसे हालात कि वजह से बच्चों कि पढ़ाई तो प्रभावित हो रही है वही बारिश का मौसम होने से कभी भी बड़ा हादसा होने कि चिंता हर समय बनी रहती है।
ग्रामीणों ने जल्द से जल्द समस्या के समाधान कि मांग कि है।

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