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अंदरखाने कि बात….!*

 

ओम जैन शम्भूपुरा।
चित्तौडग़ढ़ कि राजनितिक उथल पुथल पुरे प्रदेश मे किसी से छिपी नहीं है, क्योंकि यही से प्रदेश भाजपा के मुखिया यानी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी आते है, ओर विधानसभा चुनाव मे उनकी ही विधानसभा यहाँ तक कि बूथ तक मे भाजपा को जीतने नहीं दिया था भाजपा से बागी हुए विधायक आक्या ओर उनके समर्थको ने यह भी किसी से छिपा नहीं है।
समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन भी हुआ, निर्दलीय विधायक बने आक्या ओर भाजपा ने नरम रुख भी दिखाया तो धीरे धीरे कुछ मंच भी साझा हुए लेकिन कही ना कही बड़े कार्यक्रमो मे दोनों बड़े नेता स्थानीय सांसद सीपी जोशी ओर स्थानीय विधायक चंद्रभान सिंह आक्या दोनों कि जानबूझकर अनुपस्थित आज भी दर्शा रही कि अंदरखाने अभी पुरी तरह से सबकुछ ठीक नहीं।
वही दूसरी ओर राजस्थान के बजट मे भी चित्तोड़ विधानसभा को मिली सोगातो पर भी दोनों नेताओं ओर उनके समर्थको द्वारा श्रय लेने कि होड़ भी यही दर्शा रही कि हाथी के दाँत खाने के ओर है ओर दिखाने के ओर।
जब राजस्थान सरकार के बजट के बाद अब नंबर केंद्र का आया जिसमे भाजपा के प्रदेश मुखिया अपने जिले को कुछ भी नहीं दिला पाए तो आख्या समर्थको के पास उनकी टांग खींचने का इससे सुनहरा अवसर कहा मिलता, तो शुरू हो गईं सोशल मिडिया पर जबरदस्त जंग। सोशल मिडिया पर कई मैसेज वायरल हुए जिसमे

“राज्य के बजट मे खूब लिए फिरे महोदय वाहवाही
आँख उठा के कुछ न कह सके जब बारी केंद्र की आई।”

“दुसरो की मेहनत का श्रय लेने की होड़ मे,
कुछ ना मिला केंद्र से चित्तोड़ मे। ”

“कोई ना पाट पाया प्रतिष्ठा की होड़ को
कट्टे भरके योजनाओं की घोषणाए मिली चित्तोड़ को।”

ऐसे ओर कई मैसेज जिन्होंने सोशल मिडिया पर बाजार गर्म रखा, आखिर चित्तौडग़ढ़ को कुछ ना मिलना सबकी सोच से तो परे है ही लेकिन कही ना कही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की प्रतिष्ठा का भी सवाल था।

खेर कोई ना यह तो राजनीती है चलता रहेगा, नेता है नेताओं का क्या, चिंता तो जनता की है कि उनका भी छोटा मोटा काम हो जाए, क्षेत्र मे कुछ विकास हो जाए, क्योंकि स्थानीय सांसद के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उम्मीदें तो जिले वासियों को बहुत थी लेकिन हुआ कुछ नहीं तो फिर ऐसे ही मैसेज देखने को मिलते रहेंगे।

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