जी हाँ यहाँ किसकी बात हो रही यह आप ओर हम सब समझ गये, बात हो रही हमारे देश के महान नेताओं कि जो जनता कि गाढ़ी कमाई पर पर ऐश कर रहे ओर जनता अपने दुखो ओर समस्याओ से ही नहीं उभर पा रही।
देश मे कुछ समय पहले बहुत हो हल्ला भी हुआ कि विदेशो मे जितने लोगों के खाते है सब उजागर होंगे, जीतने रूपये है सब देश मे लाये जायेंगे, देश के मुख्याजी ने कहा था कि विदेशो के खातों मे इतने पैसे है कि आप सबके खातों मे 15-15 लाख आ सकते है, प्रयास अच्छा था लेकिन कहा गये वो खाते ओर कहा गये वो पैसे। एक एजेंसी कि माने तो कुछ वर्षो से देश मे भ्रष्टाचार भी बढ़ा है, ओर विदेशो मे खाते भी बढ़ गए। मतलब यह कि हमारे नेताओं का यह सिस्टम हो गया कि हम देश मे खाते है इसीलिए हमारे विदेशो मे खाते है, ओर विदेशो मे यही बढ़ते खाते देश ओर देशवासियो को कंगाली कि ओर धकेल रहे है, इसके लिए देश के ये भ्रष्ट नेता तो ना आज सुधरेंगे ना कल लेकिन जनता को ही जागरूक होना पड़ेगा, जनता को इन भ्रष्ट नेताओं को मुँह तोड़ जवाब देने कि जरूरत है, हर काम के नाम पर पैसे (रिश्वत) देने कि जरूरत नहीं है, इसका दूसरा विकल्प खुद कि जागरूकता भी है ओर जब तक आप जागरूक नहीं होंगे तब तक ये नेता देश को ऐसे ही लुटकर विदेशो मे अपने पैसे, व्यवसाय को बढ़ाते रहेंगे।
पत्रकार ओम जैन शम्भूपुरा, चित्तौडग़ढ़ (राज.)