वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्रीमती दीपिका जैन।
चित्तौडग़ढ़।अपने जीवन की विशिष्ठ उपलब्धियों को यदि समय समय पर याद किया जाए तो मन मे प्रसन्नता होती है वही व्यतीत किये गए अच्छे पल हमेशा खुशी प्रदान करते है, इसी विषय पर आधारित वरिष्ठ नागरिक मंच उपशाखा गांधीनगर की मासिक बैठक आयोजित हुई जिसमें मंच के विद्वत वरिष्ठजनो ने अपने अपने जीवनकाल मे किये गए विशेष यादगार पलो, संघर्षो व घटित घटनाओं को उपस्थित मंच सदस्यों के बीच साझा किया गया।
उपशाखा के सचिव कल्याणमल आगाल ने बताया कि मंच परंपरा के अनुरूप सबसे पहले सर्वधर्म प्रार्थना के साथ सभा प्रारम्भ हुई तथा विषयानुसार मंच महासचिव राधेश्याम आमेरिया ने 1994 में झलझुलनी ग्यारस की घटना का जिक्र किया जिसे उन्होंने अपने जीवन का सबसे रोमांचकारी अनुभव बताया। वही मंच प्रवक्ता महेंद्र जैन ने कॉलेज समय के स्काउट शिविर के दौरान जगन्नाथ पुरी की यात्रा का रोमांच बताया, मंच सदस्य जगदीश लाल सुनार ने कॉलेज का अनुभव बताते हुए बताया कि लाइब्रेरी में एक पुस्तक की कहानी ने उनके जीवन को बदलने का अनुभव साझा किया, तो मंच संरक्षक देवी लाल आमेरिया ने 1974 का अनुभव बताते हुवे होस्टल में पढ़ाई, बैंक सेवा व कैसे RAS बने उसका प्रसंग बताकर अपनी सफलता व जीवन यात्रा के बारे में बताया।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ योगेश जानी ने जीवन मे “सफल व सार्थक” होना अलग अलग बताते हुवे कहा कि व्यक्ति का सफल होकर भी सार्थक है या नही यह विचारणीय है तथा अपनेवजीवन को सार्थक करने की प्रेरणा लेना चाहिए।
सभा को अमरकंठ उपाध्याय, राधेश्याम सोनी,चंद्रप्रकाश खटोड़, मानक चंद जैन, मिट्ठूलाल रेबारी ने भी अपने विचार रखे।
मंच उपशाखा के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण भारद्वाज ने कविता भी रोती है शीर्षक से पद्य पाठ किया जो अत्यंत मार्मिक व व्यंगात्मक व प्रासंगिक था।
सभा में मदनलाल टेलर, बद्री प्रसाद जागेटिया, मोहनलाल श्योपुरा, रमेशचंद्र ओझा, सुरेश कुमार वर्मा, रामजस कोठारी, केसर सिंह, श्यामलाल वैष्णव, कन्हैयालाल नारानीवाल, कैलाश तिवारी, मानकचंद जैन, सुनील कुमार जागेटिया, डॉ राधेश्याम जोशी, उदयलाल जैन, देवी सिंह राव, भीखचंद शर्मा, दिनेश कुमार वर्मा, शशिरंजन तिवारी, जगदीश चंद्र चोपड़ा, शिवप्रकाश गट्टानी, प्रेमचंद बोहरा, शांतिलाल पटवा, मनोहरलाल कुमावत, श्यामलाल गिल, हजारीलाल बारबर, कृष्णर्जुन पार्थ भक्ति (बोहेड़ा) सहित कई वरिष्ठजन उपस्थित
थे।
सभा का संचालन कल्याणमल आगाल ने व धन्यवाद ज्ञापन एल एन भारद्वाज ने दिया संगोष्ठी राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न हुई व सभी वरिष्ठों ने पुराने अनुभवों को सुन प्रसन्नता व्यक्त की।