वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्रीमती दीपिका जैन।
चित्तौडग़ढ़।कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौड़गढ़ द्वारा संस्थागत कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह संस्थागत प्रशिक्षण मक्का एवं सोयाबीन समन्वित पोषक तत्व प्रबन्धन पर आधारित था जिसमें जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ द्वारा गोदित गांव शंभू नाथ जी का खेड़ा, पंचायत समिति भेसरोडगढ से कुल 27 कृषको ने भाग लिया।
डॉ. रतनलाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने किसानों को मक्का एवं सोयाबीन की फसल में समन्वित पौषक तत्व प्रबंधन कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है ताकि किसानो की आय में इजाफा हो सके। साथ ही आज के समय में संतुलित खाद एवं उर्वरक के उपयोग से मृदा की उर्वरकता स्तर एवं टीकाऊपन बना रहता है। प्रशिक्षण में किसानो को जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने की प्रायोगिक विधि समझाई। डॉ. सोलंकी ने किसानों को मक्का एवं सोयाबीन की खड़ी फसल में सिंचाई की कान्तिक अवस्थाएं एवं खड़ी फसल में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक यूरिया की सही मात्रा एवं तरीका सिखाया जिससे इसका कुशलतम उपयोग पौधे कर सके। मक्का एवं सोयाबीन की फसल में पोषक तत्व की कमी के लक्षण एवं कमी को पूरा करने के उपाय के साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच हेतु मिट्टी नमुना लेने के तकनीकी से अवगत कराया तथा लवणीय एवं क्षारीय भूमि की पहचान, भूमि सुधार हेतु जिप्सम प्रयोग व हरी खाद का महत्व, मृदा स्वास्थ्य हेतु जैविक खादों का प्रयोग, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विभिन्न विधियां व जैविक खाद वर्मीवाश तैयार करने की प्रायोगिक जानकारी दी तथा बीज में टीका अर्थात बीज उपचार करने का प्रायोगिक तरीका सीखाया।
केन्द्र की कार्यकम सहायक दीपा इन्दौरिया, ने खरीफ के मौसम पोषण वाटिका लगाने पर जोर दिया। पोषण वाटिका शुरू करने का मुख्य उद्देश्य समुदाय के सदस्यों को अपने घर के पिछले हिस्से में स्थानीय खाद्य फसलों को उगाने के लिये, प्रोत्साहित करना साथ ही, उन्हें ताजे फल तथा सब्जियों की एक सस्ती, नियमित और आसान आपूर्ति की सुरक्षा प्रदान करना है।
केन्द्र के कार्यकम सहायक संजय कुमार धाकड ने मक्का की फसल में फॉलआर्मी नियत्रंण एवं सोयाबीन की फसल मे खरपतवार, कीट नियंत्रण हेत दवाओ के प्रयोग का तरीका समझाया। केवीके फार्म पर भ्रमण करवा कर तकनीकी जानकारी दी। प्रशिक्षण के अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों धन्यवाद अर्पित किया गया।
कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौड़गढ़ द्वारा संस्थागत कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह संस्थागत प्रशिक्षण मक्का एवं सोयाबीन समन्वित पोषक तत्व प्रबन्धन पर आधारित था जिसमें जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ द्वारा गोदित गांव से कुल 27 कृषको ने भाग
लिया।
डॉ. रतनलाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने किसानों को मक्का एवं सोयाबीन की फसल में समन्वित पौषक तत्व प्रबंधन कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है ताकि किसानो की आय में इजाफा हो सके। साथ ही आज के समय में संतुलित खाद एवं उर्वरक के उपयोग से मृदा की उर्वरकता स्तर एवं टीकाऊपन बना रहता है। प्रशिक्षण में किसानो को जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने की प्रायोगिक विधि समझाई। डॉ. सोलंकी ने किसानों को मक्का एवं सोयाबीन की खड़ी फसल में सिंचाई की कान्तिक अवस्थाएं एवं खड़ी फसल में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक यूरिया की सही मात्रा एवं तरीका सिखाया जिससे इसका कुशलतम उपयोग पौधे कर सके। मक्का एवं सोयाबीन की फसल में पोषक तत्व की कमी के लक्षण एवं कमी को पूरा करने के उपाय के साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच हेतु मिट्टी नमुना लेने के तकनीकी से अवगत कराया तथा लवणीय एवं क्षारीय भूमि की पहचान, भूमि सुधार हेतु जिप्सम प्रयोग व हरी खाद का महत्व, मृदा स्वास्थ्य हेतु जैविक खादों का प्रयोग, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विभिन्न विधियां व जैविक खाद वर्मीवाश तैयार करने की प्रायोगिक जानकारी दी तथा बीज में टीका अर्थात बीज उपचार करने का प्रायोगिक तरीका सीखाया केन्द्र की कार्यकम सहायक दीपा इन्दौरिया, ने खरीफ के मौसम पोषण वाटिका लगाने पर जोर दिया। पोषण वाटिका शुरू करने का मुख्य उद्देश्य समुदाय के सदस्यों को अपने घर के पिछले हिस्से में स्थानीय खाद्य फसलों को उगाने के लिये, प्रोत्साहित करना साथ ही, उन्हें ताजे फल तथा सब्जियों की एक सस्ती, नियमित और आसान आपूर्ति की सुरक्षा प्रदान करना है।
केन्द्र के कार्यकम सहायक संजय कुमार धाकड ने मक्का की फसल में फॉलआर्मी नियत्रंण एवं सोयाबीन की फसल मे खरपतवार, कीट नियंत्रण हेत दवाओ के प्रयोग का तरीका समझाया। केवीके फार्म पर भ्रमण करवा कर तकनीकी जानकारी दी। प्रशिक्षण के अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों धन्यवाद अर्पित किया गया।