खुशहाल वृद्ध आश्रम कि मदद से एटीबीएफ करवाया देहदान, चित्तौडग़ढ़ मेडिकल कॉलेज को संस्थान ने दूसरा देह सुपुर्द किया।
वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्रीमति दीपिका जैन।
चित्तौडग़ढ़।क्या आपने कभी सोचा है हम स्वस्थ मानव समाज निर्माण के लिए जीते जी अगर कुछ नहीं कर पाए तो क्या मरणोपरांत कुछ करने का प्रयास कर सकते हैं, सवाल आता है इसमें भला हम कैसे मदद कर सकते हैं तो एटीबीएफ के देहदान कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर यह नेक कार्य किया जा सकता है।
संस्थान कि प्रेरणा से ही खुशहाल वृद्ध आश्रम की संचालिका नंदिनी त्रिपाठी ने शनिवार 1 जून को आश्रम मे एक बाबा की मृत्यु होने पर आचार्य तुलसी बहुउद्देशीय फाउंडेशन के संस्थापक सुनील ढिलीवाल से संपर्क किया और 75 वर्षीय बुजुर्ग चंदीप बाबा की सामान्य मौत की सूचना दी। इस पर संस्था के मुकेश शर्मा व दुर्गेश लक्षकार द्वारा बुजुर्ग के देहदान की प्रेरणा दी गई। जिस पर कुछ देर सोच विचारने के बाद आश्रम संचलिका द्वारा इसकी लिखित मे स्वीकृति दी गई ओर फिर बुजुर्ग चंदीप बाबा की पार्थिव देह आचार्य बहुउद्देशीय फाउंडेशन को सुपुर्द की गईं। इसके बाद बुजुर्ग की पार्थिव देह को एम्बुलेंस द्वारा साँवरियाजी जिला चिकित्सालय ले जाया गया और वहा की जो भी फोर्मिलिटी थी उसे पुरा किया गया। चिकित्सकों द्वारा बुजुर्ग की मौत की घोषणा के बाद बुजुर्ग की बॉडी को मोर्चरी में रखवाया गया। अगले दिन सोमवार सुबह टीम एटीबीएफ के दुर्गेश कुमार लक्षकार, मुकेश शर्मा आदि द्वारा पुलिस वेरिफिकेशन सहित तमाम फॉर्मलीटी पूर्ण करवाई गई व सोमवार प्रातः राम कुमार पचौरी, खुशहाल वृद्ध आश्रम की संचलिका नंदिनी त्रिपाठी, मुकेश शर्मा व दुर्गेश लक्षकार सांवरिया हॉस्पिटल की मोर्चरी पहुंचे व एम्बुलेंस के माध्यम से डेथ बॉडी को देहदान हेतु चित्तौड़गढ़ स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय ले जाया गया। जहा एनाटामी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अंकुश आसोपा, डॉ आशीष शर्मा, लैब टेकनिशियन पवन धाकड़ को सुपुर्द किया गया। जहा डिपार्टमेंट ने संस्था को प्रसंसा पत्र प्रदान किया। देहदान को लेकर चित्तौडग़ढ़ की संस्था आचार्य तुलसी बहुउद्देशीय फाउंडेशन के संस्थापक सुनील ढ़ीलीवाल बताते हैं कि हमने महर्षि दधीचि की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देहदान संकल्प कार्यक्रम शुरू किया। क्योंकि हमारा मानना है कि किसी भी दवा को इजाद करने के लिए बीमारी की खोज जरूरी है और बीमारी का पता लगाने के लिए रिचर्स जरूरी है और कोई भी रिचर्स बिना मानव देह के संभव नहीं है, क्योंकि मानव देह एक किताब का कार्य करती है। सभी को देहदान के लिए आगे आना चाहिए।
ज्ञात हो की चित्तौड़गढ़ मेडिकल कॉलेज में यह दूसरा देहदान है जो कि दोनों ही देहदान एटीबीएफ के माध्यम से हुए है। इसी के साथ एटीबीएफ का यह छटा देहदान है।