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खुदरा उर्वरक विक्रेता सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रशिक्षण का शुभारंभ।

 

वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्रीमती दीपिका जैन।

चित्तौडग़ढ़।कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि आलोक रंजन, जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों से आव्हान किया कि वे सच्ची लग्न व निष्ठा से अपने व्यवसाय के साथ किसानों को सही समय पर सही सुझाव देकर अप्रत्यक्ष रूप से उनके लिए बदलाव अभिकर्ता के रूप में सहायता करें। जिला कलेक्टर ने कहा की आज किसान रासायनिक उर्वरको का खेती में बहुत अधिक उपयोग कर रहा है जिससे मृदा स्वास्थ्य खराब हो रहा है एवं मानव में कैंसर जैसी बीमारियां में फैल रही हैं इसलिए रासायनिक उर्वरक एवं दवाइयों का प्रयोग कम करके जैविक खेती को प्रोत्साहन करें। जिला कलेक्टर ने सभी खुदरा उर्वरक विक्रेता सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रशिक्षण प्रतिभागियों से आह्वान किया कि ज्ञान को सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। अतः प्रतिभागियों को कृषि सम्बन्धित नवीनतम साहित्व कृषि विभाग एवं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सम्पर्क में रहना चाहिए ताकि कृषि में हो रहे नवाचारों द्वारा आप लोग किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित कर सकते है। खाद्यान्न, सब्जी एवं फल परिरक्षण, मूल्य संवर्धन कर बाजार में विक्रय कर किसान अपनी आय को बढ़ावा देवें।
प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. रतन लाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने बताया कि इस प्रशिक्षण में जिले की विभिन्न पंचायत समितियो से एवं ग्रामीण कय विक्रय सहकारी समितियो से कुल 40 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग ले रहे है, जिन्हें उर्वरक सर्टिफिकेट कोर्स सम्बन्धी सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक जानकारियां प्रदान की जायेगी।
डॉ रतनलाल सोलंकी ने सीबीआईएनडब्ल्यू कान्सेप्ट पर बात करते हुये कस्टमाईज उर्वरक, सन्तुलित उर्वरक एवं समन्वित उर्वरक प्रबन्धन के विभिन्न बिन्दुओं पर प्रकाश डाला और नेनो फर्टिलाईजर एवं जल में घुलनशील उर्वरकों के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होनें कृषि के छः प्रमुख आयामों यथा जमीन, पानी, बीज, उर्वरक, मशीनीकरण, वातावरण एवं किसान के बारे में भी बताया और कहा कि किसान सर्वोपरी है और उसको ध्यान में रखते हुए उर्वरक विक्रेताओं को अपनी तैयारी करनी चाहिये।
इस अवसर पर ओ.पी. शर्मा, उप निदेशक, आईपीएम, चित्तौड़गढ़ ने प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ाने के उपाय सुझाऐ तथा टिकाऊ खेती समन्वित कृषि पद्धति की फसल विविधीकरण एवं पौधों के पोषक तत्व, उनके कार्य, कमी के लक्षण तथा कमी की पूर्ति कैसे की जाएं आदि विषयों पर जानकारी देकर उनका ज्ञान वर्धन किया। दिनेश जागा, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार विभाग, चित्तौड़गढ़ ने बताया कि उर्वरको का वर्गीकरण, उसके पोषक तत्वों की जानकारी, रासायनिक संरचना, उर्वरक नियन्त्रण आदेश (1985) की विस्तृत जानकारी, उर्वरकों का भण्डारण, सूक्ष्म पोषक तत्वों के बारें में जानकारी आदि विषयों पर विस्तृत रुप से जानकारी दी जाएगी। डॉ. शंकर लाल जाट उप निदेशक उद्यान ने प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरकों के सन्तुलित उपयोग एवं मृदा परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व प्रबन्धन, समन्वित पोषक तत्व के लाभ, जैविक खेती और उसके लाभ, कार्बनिक खेती आदि के बारे में भी चर्चा की।
प्रशिक्षण सह समन्वयक दीपा इन्दौरिया ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रशिक्षण का लाभ किसानों तक पहुंचाने की अपील की साथ ही प्रशिक्षण के शुभारम्भ समारोह में पधारे अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही शुभारम्भ के अवसर पर संजय धाकड़, यशवन्त ओझा, रमेश माली, राजू लाल गुर्जर आदि उपस्थित थे।

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