बिना पेट्रोल और डीजल के चलेगी मशीन, करेगी निराई, बुवाई और निकालेगी खरपतवार -मेवाड़ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट रामधन लोधा बने चैम्पियन, तैयार की हाईब्रिड मशीन।
वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्रीमति दीपिका जैन।
चित्तौड़गढ़। मेवाड़ यूनिवर्सिटी के बीसीए प्रथम वर्ष के स्टूडेंट रामधन लोधा ने अपने प्रोजेक्ट्स से कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति लाने की उम्मीद पैदा कर दी है। रामधन का कहना है कि उनकी तैयार यह मशीन वह सब काम करेगी जा कृषि के क्षेत्र में जरूरी होते है। इससे निराई, बीज बुवाई और छिड़काव आदि सभी कार्य एक साथ कर सकती है। खेतों में क्यारियां बनाने के अलावा मशीन से खाद ड़ालने के लिए नया उपकरण भी तैयार किया जा रहा है ताकि इसे मशीन से जोड़कर खेतों में किसान आसानी से खाद ड़ाल सकें। यह मशीन पेट्रोल और डीजल के बिना सौर ऊर्जा एवं बिजली (हाइब्रिड मशीन) से संचालित होती है और बिना रासायनिक उर्वरक डाले खरपतवार को भी निकालती है।
विभाग के एचओडी बीएल पाल ने बताया कि रामधन बेहद गरीब और किसान परिवार से आता है लेकिन जिस तरह से इसने अपने इनोवेटिव आइडिया से जो मशीन तैयार की है वह काफी प्रशंसनीय है। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय, प्रदेशीय और जिलास्तरीय टेक्निकल फेस्ट में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। बीकानेर में आयोजित 22 से 25 नवंबर के बीच 55 वीं राज्य स्तरीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी 2022-23 और पुणे में आयोजित 26 से 31 दिसंबर को 50 वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में भी उनकी इस खरपतवार मशीन को काफी सराहा गया है।
झालावाड़ निवासी स्टूडेंट रामधन ने बताया कि वह एक किसान परिवार से है। बचपन में ही उन्हें यह आइडिया उस समय आया, जब वह अपने पिता को किसी भी फसल की बुवाई करते समय एक बहुत बड़ी रकम खरपतवार निकालने और अन्य कार्याें में खर्च करनी पड़ती थी, जिस कारण उनके सामने हमेशा आर्थिक तंगी की समस्या रहती थी। यहीं से उनके मन में यह मशीन को बनाने का इनोवेटिव आइडिया आया जिसके जरिए कम खर्च में खेती-किसानी की जा सकें।
बैंगलोर में स्केलर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा 12 से 13 जनवरी के बीच आयोजित हुई द इंडियन सिलिकॉन वैली चैलेंज प्रतियोगिता में 18 हजार से ज्यादा विभिन्न कॉलेजों और स्कूलों के प्रोजेक्ट्स शामिल किए गए थे जिसमें रामधन की यह नई कृषि उपकरण मशीन विभिन्न चरणों मे क्वालिफाई होते हुए शीर्ष 10 में जगह बनाने में कामयाब हुई थी। टेक्निकल फेस्ट में आए सभी विशेषज्ञों ने रामधन की इस कृषि उपकरण मशीन की काफी सराहना की और कहा कि इससे आने वाले समय में कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति आ सकती है। कंपनी ने रामधन को अपने विचारों को ओर विकसित करने और उपकरण का पेटेंट कराने के लिए स्टूडेंट रामधन को 1 लाख रूपये की धनराशि भी प्रदान की है।
मेवाड़ यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने बताया कि बीसीए छात्र रामधन के इनोवेटिव आइडिया के जरिए ही हम किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचा सकते है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन की हमेशा यही प्रयास रहेगा कि इस तरह के इनोवेटिव आइडिया को मूर्त रूप देकर समाज और राष्ट्र के विकास में उपयोग में लाया जा सकें। स्टूडेंट की इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो.(डॉ.) आलोक मिश्रा ने शुभकामनाएं दी है और कहा कि इससे भारत के कृषि क्षेत्र में नई क्रांति आएगी।