वीरधरा न्यूज़।प्रतापगढ़ @ श्री तारूसिंह।
प्रतापगढ।महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिला अधिकारिता विभाग के तत्वाधान में मोहनलाल सुखाड़िया स्टेडियम में सोमवार से शुरू हुए अमृता हाट मेले के प्रति आमजन में उत्साह है। मेले के दूसरे दिन भी कुल एक लाख 61 हजार 365 रूपये की बिक्री हुई।
सहायक निदेशक महिला अधिकारिता विभाग नेहा माथुर ने बताया कि अमृता हाट मेले के दूसरे दिन 13 फरवरी को भी समस्त स्वयं सहायता समूह की विक्रय राशि एक लाख 61 हजार 365 रूपये की बिक्री हुई है। उन्होंने बताया कि मेले में कुल पचपन स्टाॅल लगाई गई है जिनमें हस्तनिर्मित सामग्री के साथ ही देसी खा़द्य पदार्थ भी उपलब्ध है । उन्होंने बताया कि मेले में आने वाले लोगों में कोटा डोरिया की साड़ियां, सलवार सूट, जूट के बैग, लाख की चूड़ी, ज्वेलरी, महुआ के लड्डू, हस्तनिर्मित मुल्तानी मिट्टी, गुलाब, चंदन, नीम, एलोवरा आदि देसी पदार्थो से बने साबुन आदि उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि मेला 16 फरवरी तक रहेगा।
अमृृता हाट से आत्मनिर्भरता की ओर:
अमृता हाट मेले से हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहें है। इस मेले से हमारे द्वारा निर्मित उत्पादों को बिक्री का एक मंच मिला है। साथ ही हमें भी हौंसला मिला है कि हम भी बहुत कुछ कर सकते है। यह कहना है प्रतापगढ़ निवासी सोहनी मीणा और गायत्री योगी का।
मेले में स्टाॅल पर उत्पादों का विक्रय करती प्रतापगढ़ की सोहनी मीणा पूरे आत्मविश्वास से बताती है कि ‘‘मेरा नाम सोहनी मीणा है। सबसे पहले मैं उजाला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी, उसके बाद हम वनधन केन्द्र से जुड़े जिसमें 300 महिलाऐं जुड़ी हुई है। इन महिलाओं की ट्रेनिंग हुइ, उस ट्रेनिंग में आंवला पावडर एवं महुआ के लड्डू बनाना सिखाया गया। उसके पश्चात् उत्पाद बनाने के लिए हमें राशि दी जाती है। हम एसएसजी की महिलाएँ जंगल से आंवला व महुआ लाती है, और उनसे हम उत्पाद तैयार करते है। इसी तरह छोटीसादड़ी ब्लाॅक में हमारा एसएचजी (उजाला) की महिलाऐं वन धन विकास केन्द्र जागृती केन्द्र धोलापानी है, जहां प्रयास वन धन केन्द्र के द्वारा साबुन, वर्षा वन धन केन्द्र द्वारा टेस्टी दाने (मूंगफली व चना रोस्ट), सुमन वन धन केन्द्र द्वारा आंवला पाउडर, गुलाब वन धन केन्द्र द्वारा अर्जुन की छाल का पावडर बनाया जाता है। अमृता हाट मेले में इन उत्पादों की स्टाॅल लगाई है जहां हमें इन उत्पादों को लोगों तक पहुंचाने का एक मंच मिला है और मेले में आने वाले लोग इन उत्पादों को खरीद भी रहें है । हमारा प्रयास है इन उत्पादों को बड़े बाजार तक पहुंचा सकें।
गायत्री योगी बताती है कि मैं ब्लाक प्रतापगढ़ से रोकड़िया राजीविका वन धन विकास केन्द्र व देवनारायण स्वयं सहायता समूह है, जिसमें 300 महिलाऐं जुड़ी हुई है। हमें आंवला मुरब्बा, आंवला केन्डी, आंवला सुपारी बनानी सिखाया गया है इसके बाद से मजदुरी नहीं करनी पड़ती है। हमारे द्वारा बनाए जा रहें उत्पादों की बाजार में सप्लाई करके हमारी आजीविका अच्छे से चल रही है। हमने अमृता हाट मेले में पहली बार स्टॉल लगाई है, जहाँ हमारी अच्छी बिक्री हो रही है और इससे हमें नई पहचान मिल रही है।