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पाकिस्तान में 400 रुपए दर्जन अंडे, 250 रुपए कीलो प्याज, चुनाव से पहले पाकिस्तान के यूं बिगड़े हालात।

वीरधरा न्यूज़।नई दिल्ली@ एजेंसी।


नई दिल्ली। पाकिस्तान में आम चुनाव होने में एक महीने से भी कम समय बचा है और देश की हालत और ज्यादा नाजुक होती जा रही है। देश में महंगाई रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रही है। पाकिस्तान की मीडिया रिपोट्र के अनुसार 15 जनवरी को लाहौर पंजाब में एक दर्जन अंडों के दाम 400 पाकिस्तानी रुपए के पार चले गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय अधिकारियों को सरकारी रेट लिस्ट लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसका प्रमुख कारण लगातार बढ़ती कीमतें हैं। उदाहरण के लिए, प्याज 230 से 250 पीकेआर प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है, जो सरकार द्वारा निर्धारित दर 175 पीकेआर प्रति किलोग्राम से अधिक है।

615 किलो रुपए का चिकन:

एआरवाई न्यूज रिपोर्ट के अनुसार लाहौर में, प्रति दर्जन अंडों की कीमत पीकेआर 400 तक पहुंच गई है, जबकि चिकन 615 पीकेआर प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है, पिछले महीने, देश की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) ने राष्ट्रीय मूल्य निगरानी समिति (एनपीएमसी) को प्रांतीय सरकारों के साथ नियमित रूप से समन्वय करने का निर्देश दिया था। इसका उद्देश्य मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने वाले उपायों को लागू करना है, साथ ही जमाखोरी और मुनाफाखोरी से संबंधित मुद्दों को भी संबोधित करना है। यह फैसला वित्त, राजस्व और आर्थिक मामलों के कार्यवाहक संघीय मंत्री शमशाद अख्तर की अध्यक्षता में एक बैठक के दौरान किया गया।

पाकिस्तान के कर्ज की स्थिति:

एआरवाई न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में नवंबर के अंत तक पाकिस्तान का कुल कर्ज बढ़कर 63,399 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपया हो गया है. पीडीएम और कार्यवाहक सरकार के कार्यकाल के दौरान, पाकिस्तान का कुल कर्ज 12.430 ट्रिलियन पीकेआर से अधिक बढ़ गया. कुल लोन का बोझ अब 63.390 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपया है, जिसमें घरेलू लोन में 40.956 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए और इंटरनेशनल लोन में 22.434 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए शामिल है।

सिर्फ इलीट क्लास को मिल रहा फायदा:

विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट में पाकिस्तान के इकोनॉमिक डेवलपमेंट्स की लिमिटेशंय पर प्रकाश डाला गया है और कहा गया है कि इससे मुख्य रूप से इलीट क्लास को फायदा होता है, पाकिस्तान के लिए विश्व बैंक के कंट्री निदेशक, नेजी बेन्हासिन ने देश के इकोनॉमिक मॉडल की अप्रभावीता पर ध्यान दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी फिर से बढ़ रही है, जो पाकिस्तान में सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत बदलाव की आवश्यकता का संकेत देती है।

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