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चित्तौडग़ढ़-पांच सौ नूकीली कीलों से बनी शय्या पर नौ दिन रात भूखे प्यासें शयन अराधना नवमी को हवन पूजा व मां भगवती को आहुति के साथ होगी पूर्ण।

 

वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्री अनिल सुखवाल।

चित्तौड़गढ़। नागदा मध्य प्रदेश के महंत पांच सौ नुकीली कीलों से तैयार की गई शय्या पर नवरात्रि के अवसर पर 9 दिन और रात तक बिना अन्न- जल के लेट कर माता की अखंड अराधना कर रहे हैं।
23 अक्टूबर सोमवार को नवमी के दिन महंत रमेश महाराज की मां भगवती के चरणों में की गई अनूठी अराधना सुबह 9 बजे हवन पूजन के बाद समापन की जाएगी इससे पहले आठम रविवार के शाम की आरती के बाद महंत रमेश महाराज के सीने पर उगाए गए ज्वारों को विधि विधान के साथ उतारा जाएगा जिनका नवमी के रोज गम्भीरी नदी में विसर्जन किया जाएगा।
ज्ञात रहे कि इससे पहले भी नवरात्रि के अवसर पर महंत रमेश महाराज कुल उन्नीस बार माता की इस प्रकार की ही अनूठी अराधना देश के पांच राज्यों में कर चुके हैं।
इस बार राजस्थान की भक्ति और शक्ति की नगरी चित्तौड़गढ़ में दुसरी बार जय मां भगवती सेवा समिति चित्तौड़गढ़ के तत्वावधान में कलयुग के भीष्म पितामह के नाम से विख्यात नागदा मध्य प्रदेश के नीलकंठ महादेव के महंत रमेश महाराज नवरात्रि स्थापना दिवस 15 अक्टूबर से नवरात्रि समापन दिवस 23 अक्टूबर तक महाराणा प्रताप सेतु मार्ग स्थित रतन बाग में मां भगवती की आराधना के लिए शूल शय्या पर लेट कर बिना अन्न- जल के अखंड अराधना कर रहे हैं। नुकीली कीलों की शय्या के ऊपर लेट गए और उनके पेट पर मिट्टी डालकर ज्वारे उगाये गए। विश्व शांति एवं जनकल्याण की भावना को लेकर महंत द्वारा यह अराधना पूर्ण साधना 9 दिन तक निरंतर जारी रहती है। उल्लेखनीय है कि महंत इससे पूर्व पांच राज्यों में 19 बार इस प्रकार की साधना कर चुके हैं। चित्तौड़गढ़ में उनका शूल शय्या पर लेट कर मां भगवती की आराधना करने का यह 20 वां अवसर है, जबकि इससे पूर्व जिले के अरनिया जोशी गांव में सन 1999 में गुरुदेव इस प्रकार की साधना कर चुके हैं। जय मां भगवती सेवा समिति के जगदीश चारण दादू ने बताया कि चित्तौड़गढ़ जिले में मां भगवती की आराधना और महंत की कठिन साधना के इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। जबकि माता के उपासकों ने इस आयोजन में उत्साह दिखाते हुए बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की है। उन्होंने जिले वासियों से आह्वान किया है कि विश्व शांति एवं जनकल्याण की भावना को लेकर महंत द्वारा की जाने वाली इस कठिन साधना में भाग लेकर संत के दर्शन और मां भगवती के आशीर्वाद प्राप्त करें।

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