वीरधरा न्यूज़।बालोतरा@ श्री अशरफ मारोठी।
बालोतरा।नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन आज जसोल धाम माता के दरबार में पहुंचे श्रद्धालुओं ने चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है का लगाया जयकारा, जसोल धाम मंदिर परिसर मां के जयकारों से हुआ गुंजायमान।
मन्दिर संस्थान की ओर से लाखो भक्तों की और से माँ की आराधना की जा रही है। मंदिर परिसर में घट स्थापना के साथ चल रहे हवन में आज दूसरा दिन माँ भगवती ब्रह्मचारिणी की आराधना का रहा।
इस अवसर पर मां के श्रद्धालु भक्त, साधक भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत-अनुष्ठान व साधना करते नजर आ रहे हैं।
आचार्य तोयराज, नित्यानंद, वैदाचार्य दीपक भट्ट, पंडित नितेश त्रिपाठी, विशेष दीक्षित, मनोहरलाल अवस्थी, प्रियांशु पांडे, निखिलेश भारद्वाज, विपिन शर्मा, तीर्थराज दहाल, रामधिरज तिवारी ने श्रीसूक्त, पुरुशुक्त, रुद्र्शुक्त, दुर्गासप्तशती का पाठ कर यजुर्वेद के 10 अध्याय से मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान कर मां को शक्कर और पंचामृत का विशेष भोग लगाया गया, आचार्य तोयराज ने कहा की मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से हमें अपने सभी कार्यों में सफलता मिलेगी, व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति भी समर्पित रहता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से हमें त्याग, ब्रह्मचर्य, वैराग्य, तप जैसे गुणों की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि ब्रह्म का अर्थ ‘तपस्या’ चारिणी का अर्थ ‘आचरण’ करने वाला अर्थात तप का आचरण करने वाली शक्ति मां ब्रह्मचारिणी हैं। मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख मिलने के कारण ही मां ब्रह्मचारिणी को तप की देवी कहा जाता है। देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप यानि मां ब्रह्मचारिणी की साधना करने पर हमें लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ब्राह्मी आयु को बढ़ाने वाली स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने के साथ-साथ स्वर को मधुर करने वाली ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है, क्योंकि यह मन एवं मस्तिष्क को भी शक्ति प्रदान करती है। नवरात्रि के दूसरे दिन आज जसोल धाम पर कन्या पूजन व भोजन प्रसादी का लाभ पवन कुमार सुपुत्र अमृतलाल भूतड़ा (जसोल), अरुण कुमार सुपुत्र धुड़चंद भूतड़ा (जसोल), कमलकिशोर सुपुत्र सुंदरलाल राठी (जसोल), मोहनलाल, रामनारायण सुपुत्र स्वर्गीय बद्रीनारायण राठी (सांवरा) की ओर लिया गया। जिन्होंने पुरे दिन भोजनशाला में हाजिर रहकर सेवा कार्य का लाभ उठाया।