वीरधरा न्यूज़।भीलवाड़ा @श्री राजकुमार गोयल।
भीलवाड़ा/पुर।विद्यार्थियों का अगर पढ़ाई में मन नहीं लगता है, मन इधर उधर भटकता है तो उन्हें महाप्राण ध्वनि का प्रयोग करना चाहिए, इससे उनमें एकाग्रता विकसित होगी। ये विचार जैन मुनि श्री मोक्षकुमार ने अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के आखिरी दिन जीवन विज्ञान दिवस पर नागौरी मोहल्ला बालिका स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि अहिंसा का पालन करना चाहिए। किसी जीव को नहीं सताना चाहिए। हमारे मन में भी अहिंसा की भावना हो। कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। कोई गलती हो जाये तो उसे स्वीकार करना चाहिए और दुबारा गलती नहीं दोहरानी चाहिए। चोरी नहीं करनी चाहिए। चोरी जैसे गलत काम करने से डरना चाहिए। जिस पर अपना अधिकार नहीं उसकी आस नहीं करनी चाहिये। परीक्षा में नकल करना भी चोरी है। माता पिता की बात सुननी और माननी चाहिए। ताली नहीं बजानी चाहिए। इससे जीव मरते हैं
जैन धर्म में इसे पाप बताया गया है। इस मनुष्य जीवन में हमने क्या कमाया यह महत्त्वपूर्ण होता है। जैसे कर्म वैसा अगला जन्म मिलता है। जाति पांति का भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी धर्म श्रेष्ठ हैं। जैन धर्म में सबके लिए दरवाजे खुले हैं। बालिकाओं को कहा कि दहेज की मांग का विरोध करना चाहिए और स्वयं सक्षम बनना चाहिए। अनपढ़ का कोई महत्त्व नहीं है इसलिए खूब पढ़ाई करनी चाहिए। हम अगर अपना जीवन सुधारेंगे तो आगे वाले परिवार को भी धर्म का आचरण सिखाएंगे। स्कूल और घर में लड़ाई झगड़े की भावना नहीं होनी चाहिए। गुस्सा नहीं करना चाहिये। गुस्सा आये तो स्थान छोड़कर पानी पीना चाहिए। इससे गुस्सा शांत हो जाएगा। मुनि श्री पदम कुमार ने अपने प्रवचन में कहा कि शरीर स्वस्थ तो मन स्वस्थ होता है। जीवन विज्ञान हमारे भीतर की ऊर्जा को जागृत करता है। बुद्धि दिमाग में, लज्जा आँख में, तंदुरस्ती पेट में होती है लेकिन क्रोध, लालच और बीमारी इन तीनों को हटा देती है। स्वयं को आनन्दमय मानकर शरीर के कण कण में आनन्द का संचार करना चाहिए।
व्याख्याता योगेश दाधीच ने स्वागत उद्बोधन दिया। प्राचार्य गरिमा व्यास ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर अणुव्रत सेवी देवी लाल बैरवा, तेरापंथ महासभा संरक्षक भगवती लाल बोरदिया, अध्यक्ष उम्मेद सिंघवी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष शिवकुमार बैरवा, मंत्री नंदलाल बैरवा, ऋषभ जैन, स्टाफ सदस्य और अणुव्रत सेवी उपस्थित थे।