वीरधरा न्यूज़। आकोला@ श्री शेख सिराजूदिन।
आकोला। आकोला गाडरियावास बाबा रामदेव मंदिर परिसर में गवरी नृत्य देखने आसपास से उमडी भीड। आकोला में सोमवार को गवरी का मंचन हुआ, मेवाड़ की भाषा में राई गवरी कहते है। गवरी का मंचन मेवाड़ क्षैत्र के भील कलाकारों द्वारा किया जाता है। ग्रामीणों द्वारा गवरी नृत्य आयोजन करवाया गया जिसमें ईड़रा के भील कलाकारों द्वारा गवरी नृत्य का आयोजन किया गया। मेवाड़ा क्षैत्र में मेवाडी सियासत काल से इन कलाकारों द्वारा राजा, महाराजा, पंच पटेलो के सानिध्य में भील समाज द्वारा खेल किया जाता है। गवरी नृत्य को देखने क्षैत्र से बडी संख्या में महिला व पुरूष व बच्चों नें उत्साह से गवरी नृत्य का आनंद लिया। गवरी कलाकारों द्वारा गवरी खेल का मंचन जिसमें लगभग 20-25 कलाकारों द्वारा आकर्षक नृत्य, नाटक मंचन प्रस्तुत कर ग्रामवासियों का मन मोह लिया। गवरी नृत्य में प्रमुख जैसे बंजारा, कान्हा गुजरी प्रसंग, राजा रानी, कालका माता, कालु किर, हठिया डालमा, देवी अंबा, दाणी, वरजु कांजरी, खेतुडी, भाेपा-भाेपी व गाडाेलिया, मीणा-बंजारा आदि का मंचन किया गया। गवरी नृत्य के माह में ये लोग और कोई कार्य नही करतें। एसी मान्यता है कि गांव में गवरी नृत्य करने से माताजी की कृपा से मौसमी बीमारियां एवं महामारी नही फैलती है तथा क्षेत्र में खुशहाली व सुख समृद्धि रहती हैं। गवरी नृत्य काे देखने के लिए आसपास गांवों के लाेग गवरी देखने उमड पडे।