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नागौर-दसलक्षण महापर्व का भक्ति भाव से विभिन्न कार्यक्रमों के साथ हुआ भव्य समापन।

वीरधरा न्यूज़।नावा सिटी@ श्री मनोज गंगवाल।


नावासिटी। जैन समाज के पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व का विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ गुरुवार को समापन हुआ। अंतिम दिन सभी जैन मंदिरो में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा व अनंत चतुर्दशी के कलशाभिषेक हुए।

इस दौरान समाज के लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। श्रावक-श्राविकाओं ने अनंत चतुर्दशी पर्व पर सुबह से शाम तक कई धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरान विशेष भक्ति और आराधना भी की गई। जैन गजट प्रवक्ता अनिल पाटोदी ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी पर भगवान वासुपुज्य के मोक्ष कल्याणक के अवसर पर जैन मंदिरों में सुबह जिनेन्द्र प्रभु के अभिषेक व शांतिधारा बाद निर्वाण लड्डू अर्पित किया गया। श्री जी की दिव्य शांतिधारा करने का परम सौभाग्य श्री शांतिलाल नवीन कुमार गोधा परिवार को प्राप्त हुआ। श्री जी की वेदी के समक्ष निर्वाण लाडू अर्पित करने का परम सौभाग्य नरेश कुमार शुभम कुमार अजमेरा परिवार को प्राप्त हुआ। अनंत चतुर्दशी पर दोपहर मे श्री जी की भव्य कलश यात्रा निकाली गई। जो सुभाष चौक, मुख्य बाजार, कांच मंदिर होते हुई वापस नेमिनाथ दिग. जैन मंदिर पहुंची, शाम को चेतन जी शास्त्री के सानिध्य में अनंत चतुर्दशी के कलशाभिषेक हुए। और माल की बोली हुई जिसका परम सौभाग्य शांतिलाल नविन कुमार गोधा परिवार को प्राप्त हुई। इसी कार्यक्रम के बिच मे गत दिनो रेल रोको आंदोलन मे जैन समाज के मनोज गंगवाल द्वारा ऐतिहासिक अकल्पनीय मुख्य भूमिका निभाने एवं नावा सिटी सहित आसपास के संपूर्ण क्षेत्र वासियों को एक मंच पर लाने व आंदोलन को ऐतिहासिक सफलता दिलाने हेतु जोरदार स्वागत सम्मान किया गया।सम्मान समारोह में आगे समाज के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दसलक्षण महापर्व के दौरान विशेष रूप से भैया चेतन जी शास्त्री का भी सम्मान सम्मान किया गया जिनके सानिध्य में विशेष रूप से संगीतमय पूजा अर्चना एवं अन्य सभी गतिविधियों का आयोजन किया गया। रात्रि मे श्री जी की महाआरती भी भक्तिभाव से झूम झूम कर की गयी ततपश्चात् रिद्धि मंत्रो से युक्त 48 रजत दीपको से भक्तामर का पाठ किया गया इसके बाद उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर प्रवचन का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में चेतन जी शास्त्री ने आत्मा को ही ब्रह्म बताते हुए ब्रह्म रूपी आत्मा में चर्या करने को ही ब्रह्मचर्य बताया। उन्होंने कहा आत्म चिंतन व मंथन के साथ आत्मा में रमण और मन व इंद्रियों पर नियंत्रण के साथ स्व की खोज ही उत्तम ब्रह्मचर्य है।

अनिल पाटोदी ने बताया कि तीन दिवसीय कर्म निर्झरा तेला करने वाले वृत्ति शुभम अजमेरा का पारणा शुक्रवार को करवाया गया, इसके बाद मंदिर से वृत्ति शुभम अजमेरा का शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए उनके घर तक जुलूस निकाला गया। उन्होंने बताया की शुभम अजमेरा ने बिना कुछ खाए पिए निराहार रहकर तीन दिन के कठिन उपवास किए हैं। शनिवार को रतनत्रय वृत्ति मनीष गोधा का पारणा होगा।

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