वीरधरा न्यूज़।बालोतरा@ श्री अशरफ़ मारोठी।
बालोतरा।पश्चिमी राजस्थान का इतिहास संजोए मालाणी क्षेत्र अपने आप में एक अलग ही पहचान रखता है। रावल मल्लीनाथ जी व राणीं रूपादे जी ने यहां जो आदर्श स्थापित किए और उनके बताए हुए मार्ग व पदचिह्नों पर चलने से प्रत्येक व्यक्ति का कल्याण संभव है, यह बात श्री रावल मल्लीनाथ एवं श्री राणीं रूपादे संस्थान अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल ने मालाणी के संस्थापक राठौड़ वंश के आदि पुरुष संत शिरोमणि रावल मल्लीनाथ और श्री राणी रूपादे के नाम आयोजित जागरण व धार्मिक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि मालाणी आँचल के संत शासक रावल मल्लीनाथ जी का इतिहास सम्पूर्ण क्षेत्र को गौरवान्वित करता है। उन्होंने एक शासक से देवत्व तक की यात्रा की रावल किशन सिंह जसोल ने कहा कि इस तरह के अनेक उदाहरण मिल जायेंगे लोकहित के कार्य करके जिन्होंने लोक प्रसिद्धि प्राप्त की, लेकिन रावल मल्लीनाथ जी जिन्होंने भक्ति की धारा में बहकर स्वयं लोक-आराध्य का पद प्राप्त कर लिया रावल किशन सिंह जसोल ने कहा कि राणी रूपादे ने समाज को उन लाखों उपेक्षित और दलित लोगों से जोड़कर उन्हे गले लगाया उनको अपनी मुक्ति की चिन्ता नहीं थी। जनता-जनार्दन का उद्धार करना राणी रूपादे ने जीवन का लक्ष्य बना लिया और तत्कालीन दलित समाज में चेतना और आत्मविश्वास को जगाया उन्होंने मनुष्यों की समानता के सिद्वान्तों को व्यवाहारिक रूप दिया उन्होंने कहा कि राजस्थान के लिए यह गौरव की बात है कि उसकी मिट्टी में पले-पल्लवित हुए रावल मल्लीनाथ महेवा के नायक माला से रावल मल्लीनाथ से मालाणी के महादेव के रूप में देवत्व को प्राप्त कर लिया,आज चन्द्रावली बीज के इस मौके पर श्री श्री 1008 श्री गोपालराम जी महाराज अभयधाम (सिवाना), श्री श्री 1008 श्री गणेशपुरी जी महाराज वरिया मठ व श्री दिनेश भारती जी महाराज धोरी नाथजी का धुणा जसोल के पावन सानिध्य में श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर मालाजाल मन्दिर शिखर पर रावल श्री किशनसिंह जी जसोल ने छत्तीस कौम की उपस्थिति में किया ध्वजारोहण इस दौरान जूना अखाड़ा के 51 साधु-संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया, मल्लीनाथ जी के दोहे, राणी रूपादे की साखी की बही भक्ति सरिता- भाद्रपद शुक्ल पक्ष बीज को श्री रावल मल्ली नाथ जी, श्री राणी रूपादे संस्थान अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल के अथक प्रयासों से मालाणी के इतिहास में पहली बार श्री राणी रूपादे जी मंदिर पालिया, श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर मालाजाल व श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर थान मल्लीनाथ में भजन संध्या का आयोजन किया गया। जागरण में राजस्थानी लोक गायक कुटलाखां, महेशाराम, ऊगमदान, रतनपुरी एंड पार्टी द्वारा पालियाधाम एवम् समर्थाराम, हेमाराम व तेजाराम द्वारा मालाजाल सुमधुर वाणी में रावल मल्लीनाथ जी व राणी रूपादे जी के जीवन चरित्र पर आधारित परंपरागत भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। गायकों ने मालाणी के गौरव रावल श्री मल्लीनाथ जी और देवी शक्ति उनकी राणी रूपादे जी के वंश का परिचय, जीवन दर्शन उनके द्वारा भक्ति व शक्ति के मार्गों का गुणगान किया गया, जागरण में जैसल तोरल प्रसंग राणी रूपादे की वाणी की सादगी व प्रकाश, रूपादे की वेल, गुरु उगमसी के दोहे, मल्लीनाथ जी की वेल, राणी रूपादे की साखी का बखान किया गया। जिससे मौजूद श्रोता भाव विभोर हो गए। वंही दीपसिंह भाटी (डिंगल रसावल) ने भजनों के साथ रावल श्री मल्लीनाथ जी द्वारा सनातन धर्म की रक्षा के लिए लड़े गए चारों अजेय युद्धों का वर्णन किया। कार्यक्रम के दौरान दीपसिंह जी भाटी की पुस्तक बातां रा गैघट्ट का विमोचन किया गया एवम् कार्यक्रम के अंत में संस्थान कर्मचारियों संस्थान प्रबंधक जेठूसिंह, संस्थान पर्यवेक्षक भोपालसिंह व नखतसिंह को उत्कृष्ट कार्यों के लिए स्मृति चिन्ह व उपहार देकर सम्मानित किया गया। साथ ही डॉ. रामेश्वरी चौधरी को पिछले 3 वर्षों से लगातार तिलवाड़ा स्थित विश्विख्यात रावल मल्लीनाथ जी पशु-मेले में श्री रावल मल्लीनाथ जी व श्री राणी रूपादे के प्रति समर्पित व निस्वार्थ भाव से सेवा देने पर उनको भी संस्थान की और से स्मृति चिन्ह व उपहार देकर सम्मानित किया गया।
ये रहे मौजूद:
संत शिरोमणि रावल मल्लीनाथ और श्री राणी रूपादे माता के नाम आयोजित हुए जागरण, ध्वजारोहण व महाप्रसादी कार्यक्रम के दौरान संस्थान समिति गणमान्य सदस्यगण, संपूर्ण मालाणी क्षेत्र के प्रबुद्धजनों सहित भक्तगण मौजूद रहे।