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तिरंगे के साथ हजारों ग्रामीणों ने बनास नदी में ली अर्ध जल समाधि। भारत माता, वंदे मातरम के नारों के साथ नदी में उतरे महिला-पुरूष।

 

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़/ कपासन @ श्री अभियंता अनिल सुखवाल।

चित्तौडग़ढ़।किंग सेना मातृभूमि धर्म संघ के बैनर तले हजारों की तादाद में महिला-पुरूषों ने रविवार को बनास नदी में अर्ध जल-समाधि लेकर कपासन का तालाब भरो आंदोलन की शुरूआत की। दशकों से पेयजल संकट से जूझ रहे कपासन कस्बे और उसके आस-पास के ग्रामीण हाथ में तिरंगा लेकर भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाते हुए पछमता पंचायत के सिंदेश्वर में बनास नदी में दोपहर 12 बजे प्रवेश कर गए।
महिलाओं और पुरूषों में इस बात का जमकर आक्रोश था कि क्षेत्र में भारी बारिश होने के बावजूद चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन, धमाणा और डिंडोली के तालाब सूखे हैं, जबकि इन तालाब से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही बनास नदी बह रही है। बनास नदी का पानी कपासन से 20 किलोमीटर दूर मातृकुंडिया तालाब में इकट्ठा होकर बाद में जयपुर के बीसलपुर बांध तक जा रहा है। लेकिन कपासन की 40 हजार की आबादी का पेयजल का प्रमुख स्रोत राजराजेश्वर तालाब दशकों से सूखा रहता आया है।
पानी में कमर तक के हिस्से में बैठी महिलाओं का यही कहना था कि आधा मानसून बीत चुका है। लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया, हर साल की यही कहानी है। हम अपने बच्चों को कहां से पानी पिलाएं, मवेशियों के पीने के लिए पानी कहां से लाएं।
अर्ध जल समाधि लिए हुए किंग सेना संगठन के महासचिव सुनील निमावत ने कहा कि यह कपासन, धमाणा, डिंडोली और भोपालसागर की जनता का दुर्भाग्य ही है कि इनकी आवाज को क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और जयपुर में आई सरकारों ने नहीं सुना। संगठन के रणनीतिकार घनेन्द्र सिंह सरोहा ने कहा कि राज्य सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए ही संगठन ने क्षेत्रीय जनता के साथ मिल इस जलसमाधि आंदोलन की शुरूआत की है। जबतक सरकार मांगों की पूर्ति नहीं करेगी, बनास नदी के पेटे में आंदोलन अनिश्तिचकाल तक जारी रहेगा। इस बीच रेलमंगरा और आस-पास के थानों की पुलिस मौके पर स्थिति का जायजा लेती रही। देर रात तक ग्रामीण महिला – पुरूष बनास नदी के पेटे में अर्ध जल समाधि लिए हुए थे।

बच्चों से आंदोलन में हुआ आंशिक व्यवधान।

भारी संख्या में पहुंची महिलाओं के साथ बच्चे भी थे। नदी के गहरे पेटे में जाने से संगठन के पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि बच्चों को उनके अभिभावकों के साथ उनके गृहस्थान रवाना करें। संगठन के शंकर माली ने कहा कि पानी का आंदोलन हमारे लिए महत्वपूर्ण है लेकिन किसी बच्चे की जान की कीमत पर नहीं। नदी में हादसा न हो जाए इसलिए ग्रामीणों महिलाओं को उनके बच्चों के साथ उनके गांव की ओर रवाना किया गया।

अर्ध जल समाधि आंदोलन में सहभागी रहे कार्यकर्ता।

शंकर माली, अभिषेक व्यास, श्याम पूर्बिया, मोहम्मद फारूख, महमूद अंसारी, गुलशन, राबिया, पन्नालाल पूर्बिया, देवी खटीक, मुकेश लुहार, सरपंच मुकेश वैष्णव, रामलाल जाट, नानजी गायरी, श्याम माली, उदी पूर्बिया, दिनेश खटीक, भुवनेश आदि अर्ध जल समाधि आंदोलन में सहभागी रहे कार्यकर्ता मौजूद रहें।

आंदोलन में शामिल गांव

कपासन कस्बा, धमाणा, डिंडोली, तसवारिया, दोवनी, देवरिया, बावरिया खेड़ा, बामनिया, चौखा खेड़ा, भोपाल खेड़ा, बागड़ा खेड़ा, काचा खेड़ी, बालाड़ा, बुद्धा खेड़ा, मोमिन मोहल्ला कपासन आदि।

आंदोलन में रही प्रमुख मांगें

मातृकुंडिया से डिंडोली, धमाणा कपासन तक नहर के लिए डीएमएफटी फंड से डीपीआर की राशि तुरंत जारी की जाए।
कपासन- धमाणा फीडर के लिए बनास नदी पर सिंदेसर में एनीकट काजवे का राजसमंद डीएमएफटी फंड से तुरंत शुरू किया जाए।
कपासन- धमाणा फीडर में उगे झाड़-झंकाड़, खजूर के पेड़ों को तुरंत साफ कर अवरोध रहित बनाया जाए और 15 किलोमीटर कच्ची नहर को पक्का करने के आदेश दिए जाएं।
कपासन- धमाणा फीडर पर भोपालसागर और कपासन के गेट की मरम्मत कर, ठीक किया जाए।

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