वीरधरा न्यूज़।चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
चित्तौडग़ढ़।हिन्दुस्तान की खासियत रही है कि यहाँ संस्कृति और सभ्यता को आकार देने में शिक्षा सदैव से ही मूल में रही है। यह संस्कृतियों ने मिलन बिंदु वाला देश है। यहीं से विश्व-बंधुत्व का भाव फैला है। आज विश्व फिर से भारत की तरफ देख रहा है। राष्ट्र की उन्नति में गुरुओं द्वारा फिर से वैभव गान करने की आवश्यकता है। विरासत के गौरव को लौटाने के लिए सभी को सामूहिकता की तरफ बढ़ना होगा। शिक्षकों का सम्बन्ध विद्यालय से इतर समाज से भी होता है। बदलते परिवेश में देश शिक्षकों के चिंतन वाली ऐसी वाकपीठ से बहुत आशा रखता है।
यह विचार भाजपा के जिलाध्यक्ष मिट्ठू लाल जाट ने बतौर मुख्य अतिथि ब्लॉक स्तरीय प्रधानाचार्य सत्रारंभ वाकपीठ में व्यक्त किए। समापन सत्र का आयोजन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सामरी के संयोजन में नारायण सिंह व्यायामशाला में मंगलवार को सम्पन्न हुआ। विशिष्ट अतिथि के रूप में भामाशाह एवं समाजसेवी पहलवान कैलाश चन्द्र गुर्जर ने कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में खेल एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां बेहद ख़ास स्थान रखती है। वर्तमान दौर में शैक्षणिक संस्थाओं में इन दोनों विधाओं को लेकर बहुत जिम्मेदारी और गहराई से कार्य करना होगा। दोनों में राष्ट्रीयता और टीम भावना के पल्लवन की गुंजाइश रहती है।
समारोह में शामिल हुए विभिन्न अतिथियों में भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष हर्षवर्धन सिंह रूद, सामरी सरपंच प्रतिनिधि कुका लाल डांगी, जिला परिषद सदस्या बीनू मेघवाल का वाकपीठ कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों द्वारा परम्परागत रूप से मंगल कलश बंधाकर, कुमकुम तिलक सहित पगड़ी और उपरने से स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद दशोरा और जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कल्पना शर्मा ने विभागीय नवाचारों एवं राज्य सरकार की योजनाओं से परिचय करवाया। डॉ. श्वेता मेहरा के संयोजन में विद्यालयी बालिकाओं ने प्रादेशिक संस्कृतियों का इन्द्रधनुषी आयाम पेश किया जिसे उपस्थित दर्शकों ने खूब सराहा। अतिथियों के स्वागत में अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नरेन्द्र गदिया एवं सहायक कार्यक्रम समन्वयक योगेश अडानिया मौजूद रहे। वार्ताकारों में हिंदी के प्रो. अखिलेश चाष्टा, डॉ. प्रह्लाद शर्मा, विकास गौड़, अखिलेश चाष्टा, स्काउट अधिकारी चन्द्र शेखर, ग्रीन कोर प्रभारी पंकज दशोरा ने ज्ञानवर्धन किया। प्रतिभागियों में से संजय कोदली एवं डॉ. रेणु सोमाणी ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।
वाकपीठ के अंत में आभार आयोजन सचिव अय्यूब खान ने व्यक्त किया। सत्रों का संचालन डॉ. माणिक एवं वाकपीठ अध्यक्ष दिलीप जैन ने किया।