प्रतापगढ़-नीलकंठेश्वर आश्रम की दूर दूर तक ख्याति पहाड़ी पर होने के बावजूद यहाँ कुण्ड में 12 महीने रहता हे रोग मुक्ति जल।
वीरधरा न्यूज़। प्रतापगढ़@ श्री कुनाल राव।
प्रतापगढ़।आज सावन का पहला सोमवार हे और आज हम आपको बता रहे हे प्रतापगढ़ जिले से करीबन 20 किलो मीटर दूर स्थित बारावरदा गाँव में नीलकंठेश्वर आश्रम के बारे में जिस की ख्याति दूर दूर तक फेली हुई हे इस आश्रम में भगवान महादेव का प्राचीनतम 100 साल पुराना मंदिर हे इस प्राचीनतम मंदिर में शुरू से हि यहाँ के महंत पीढ़ी दर पीढ़ी आयुर्वेदिक दवाओ के जानकर रहे और महंतो पास उपचार के लिए राजस्थान हि नही बल्कि मध्यप्रदेश महाराष्ट्र और गुजरात से भी रोगी आते थे मान्यता यह भी हे की आयुर्वेद दवाओ के साथ महादेव की कृपा से भी पीड़ित ठीक हो जाते हे इस आश्रम के साथ इस मंदिर की भी जिले सहित आसपास के क्षेत्र के लोगो में विशेष मान्यता हे यहाँ पर एक भोले नाथ की प्राक्रतिक लिंग भी वर्षो से स्थापित हे जिसे नीलकंठेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता हे व् इस मंदिर का निर्माण l ग्रामीणों द्वारा अपने स्तर पर हि करवाया हे भोले बाबा के आशीर्वाद से ऊँची पहाड़ी पर होने के बावजूद भी इस में बना हुआ जलकुंड कभी नहीं सूखता इस जल में सभी प्रकार प्रकार के रोगों के निवारण के लिए ओषधिय जल भी साल के बारह महीने उपलब्ध रहता हे वेसे तो यहाँ साल भर श्रधालुओ का आना जाना लगा रहा हे लेकिन सावन की शुरवात के साथ हि भक्त नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर पर सेकड़ो की साथ पहुँच जाते हे भक्तो का मान ना हे की अगर किसी जहरीले जानवर द्वारा किसी व्यक्ति को अगर काट लिया गया हो व उस व्यक्ति को इस आश्रम में लाया जाये तो उसका जहर उतर जाता हे।
ओषधिय जलकुण्ड पर रहती हे महादेव की विशेष कृपा
नीलकंठ मंदिर में हि एक कुण्ड भी बना हुआ हे और कहा जाता हे की चाहे गर्मी हो या आकाल पड़ जाये जब भी महादेव की कृपा से यह जल कुण्ड नही सूखता इस कुण्ड में पहाडियों से रिस रिस कर ओषधिय जल एकत्र होता हे इसलिए इसे पिने से कई तरह के रोग समाप्त होजाते हे हलाकि देख रेख के आभाव में इस पोरानिक और एतिहासिक महत्व वाले स्थान की हालत खस्ताहाल हो रही हे लेकिन स्थानीय शिव भक्तो मंडली अपने निजी खर्च से छोटा मोटा कार्य कर वाती हे स्थानीय लोगो की मांग हे की इसे भी संरक्षण मिले और इसका भी विकास हो
स्थानीय जड़ी बूटियों से महंत करते आये हे आयुर्वेदिक उपचार
यहाँ के पुराने महंत जमुना दास जी महाराज कई प्रकार के रोगों का इलाज करते थे जमुना दास जी महाराज द्वारा सांप काटने पर जहर निकालने पर दवाई दी जाती थी एग्जिमा एलर्जी सफ़ेद दाग जेसी कई प्रकार की बीमारियों की आयुर्वेदिक दवाइयों को स्वयं बनाते थे इसकी वजह यह भी हे की यहा आसपास जंगल क्षेत्र होने के कारण सभी प्रकार की आयुर्वेदिक दवाये उपलब्ध हो जाती थी जिस की उन्हें पहचान थी करीबन 50 वर्ष तक उन्होंने यहाँ सेवा की इस के बाद उनकी परिपाटी आगे चल पड़ी वर्ष 2001 में उनका देवलोकगमन हो गया उनके स्थान पर वर्तमान में पुजारी नानुराम मीणा जो महादेव की सेवा करते हे उन्हें भी इन दवाओ का ध्यान हे और महादेव के आशीर्वाद से आज भी आयुर्वेदिक तरीको से कुछ बीमारियों का उपचार करते हे।