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गहलोत जी से मैने मांगा जो मिला है, टिकट में मांगूंगा नही, हम दो बार गलत टिकट के कारण हारे- पूर्व विधायक बैरवा

 

वीरधरा न्यूज़। आकोला@ श्री शेख सिराजूदिन।

आकोला। पूर्व विधायक शंकर लाल बैरवा ने रविवार को क्षेत्र के लोगों के जनसम्पर्क में अभाव अभियोग सुने।
चुनावी साल आ गया है तो यह भी साफ है कि योजनाओं के साथ ही कांग्रेस पार्टी को योग्य उम्मीदवार भी चाहिए, जो चुनाव में जीत दिला सकें। साथ ही उम्मीदवार भी ऐसे जो एंटी इनकंबेंसी से पार पाते हुए जीत दर्ज कर सकें। ऐसे में कांग्रेस पार्टी एक के बाद एक सर्वे करवाते हुए यह पता लगा रही है कि कांग्रेस का कौन सा नेता चुनाव जीतने में सक्षम और कौन सा नहीं। टिकिट देने मे भी पार्टी जिताऊ को ही प्राथमिकता दे रही है। ऐसे में किसे टिकट मिलेगा, ये आने वाला समय ही बताएगा। सूत्रों के हवाले से माने तो अशोक गहलोत के करीबी जाने -जानेवाले पूर्व विधायक शंकरलाल बैरवा का फाईनल माना जा रहा है।
रविवार को पूर्व विधायक शंकरलाल बैरवा, प.स.सदस्य सुरेश गाड़री, सत्यनारायण अहीर व जनप्रतिनिधियों के साथ आकोला में नगरपालिका की घोषणा के बाद अचानक मुख्य बस स्टेंड पर पूर्व विधायक बैरवा के पहुचने पर भीड इकट्ठी हो गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मिठाई के साथ उपरना मालाओं से भव्य स्वागत किया। अचानक कार्यकर्ताओं का हुजूम देख कर पूर्व विधायक प्रफुल्लित हो गए। वही कार्यकर्ताओं के अभाव अभियोग सुने। अपने कार्यकाल की एतिहासिक उपलब्धियां कपासन कॉलेज, 19 ग्राम पंचायतों में 2 सीएचसी, भूपालसागर पुलिस थाना- तहसील कार्यालय आदि गिनाते हुए कहा कि में इतना ही कहूँगा इस केंद्र सरकार से जनता को राहत नही मिली।
हम चित्तौडगढ़ जिले की कपासन विधानसभा क्षेत्र की बात कर रहे है। यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। अभी यहां से भाजपा के अर्जुन लाल जीनगर विधायक है। राजस्थान के विधानसभा क्षेत्र में मेवाड अंचल की चित्तौड़गढ़ जिले की कपासन विधानसभा सीट कई मायनों में अनोखी है। कपासन विधानसभा सीट जाट बाहुल्य मानी जाती है, तथा हमेशा से दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस-भाजपा द्वारा जाट समाज से ही टिकट दिया जाता रहा था। लेकिन 2008 में परिसीमन होने के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई।
सन् 2003 में सम्पन्न हुए बाहरवीं विधानसभा चुनाव में भाजपा के बद्रीलाल जाट चुनाव लड़े तथा विजयी रहे तब राज्य में वसुंधरा राजे सिन्धीया के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद सन् 2008 में परिसीमन के बाद कपासन विधानसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई थी। परिसीमन के बाद प्रथम बार तेहरवीं विधानसभा के चुनाव में त्रिकोणात्मक मुकाबला हुआ जिसमें अर्जुन लाल जीनगर निर्दलीय चुनाव लड़े और भाजपा तीसरे स्थान पर रही। कांग्रेस के शंकर लाल बैरवा निर्वाचित हुए तथा राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। बैरवा ने विकास में कोई कमी नही रखी, कई एतिहासिक कार्य किये, बैरवा के कार्यकाल की एतिहासिक उपलब्धियां कपासन कॉलेज, 19 ग्राम पंचायतों में 2 सीएचसी, भूपालसागर पुलिस थाना- तहसील कार्यालय आदि एतिहासिक उपलब्धियां विधानसभा के लोगों में यादगार बन गई। वही पूर्व विधायक बैरवा वर्तमान में विधायक नही होने पर भी इसी पखवाड़े मुख्यमंत्री गहलोत से आकोला में नगरपालिका के साथ क्षेत्र में कई घोषणाओं से क्षेत्र वासियों में खुशी की लहर है।
बैरवा के आकोला क्षेत्र में शिरकत से जगह-जगहों पर स्वागत किया। पूर्व विधायक बैरवा से पूछने पर बताया कि- मुख्यमंत्री गहलोत जी से मैने मांगा जो मिला है, टिकट में मांगूंगा नही, हम दो बार गलत टिकट के कारण हारे। क्षेत्र की जनता तय करेगी टिकट किसको मिले।
इस मौके पर युवा नेता रतन टांक, राकेश मेहता’ दिन मोहम्मद रंगरेज, असफाक मंसुरी, उदयलाल, मदन प्रजापत, शिवलाल माली, गणपत मोची, रमेश जाट आदि उपस्थित थे।

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