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सोयाबीन एवम् उडद मे समन्वित खरपतवार नियंत्रण पर संस्थागत प्रशिक्षण का आयोजन। बोरूडी से कुल 30 कृषकों ने लिया भाग।

 

वीरधरा न्यूज़।बड़ीसादड़ी@ श्री रामसिंह मीणा।

चित्तौडग़ढ़।कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तोडगढ द्वारा संस्थागत कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह संस्थागत प्रशिक्षण सोयाबीन एवम् उड़द फसल में समन्वित खरपतवार नियंत्रण पर आधारित था जिसमें जिले की बडी सादडी पंचायत समिति के गांव बोरूडी से कुल 30 कृषकों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. रतनलाल सोलंकी, कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने किसानों को सोयाबीन और उड़द की फसल में खरपतवार प्रबंधन एव समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन का महत्व एवं आवश्यक पोषक तत्वों की जानकारी दी। पौधों पर पोषक तत्व की कमी के लक्षण एवं कमी को पूरा करने के उपाय के साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच हेतु मिट्टी नमुना लेने के तकनीकी से अवगत कराया तथा लवणीय एवं क्षारीय भूमि की पहचान, भूमि सुधार हेतु जिप्सम प्रयोग व हरी खाद का महत्व, मृदा स्वास्थ्य हेतु जैविक खादों का प्रयोग, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विभिन्न विधिया व जैविक खाद वर्मीवाश तैयार करने की प्रायोगिक जानकारी दी। वर्मी कम्पोस्ट यूनिट में किसानों को तैयार खाद व केचुएं अलग करना तथा बेड तैयार करने का तरीका समझाया। आज के समय में जैविक खेती का बड़ा महत्व है तथा जैविक खादों के प्रयोग से प्राप्त उत्पाद से किसान प्रति बीघा अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
केन्द्र के कार्यक्रम सहायक संजय कुमार धाकड़ ने खरीफ फसलों में खरपतवार नियंत्रण हेत दवाओं के प्रयोग का तरीका समझाया एंवम केवीके फार्म पर भ्रमण करवा कर केविके फार्म पर लगी विभिन्न इकाईयों वर्मीकम्पोस्ट, मुर्गीपालन व बकरी युनिट, मॉर्डन नर्सरी एवं केविके फार्म पर विभिन्न बगीचे का अवलोकन करवाकर तकनीकी जानकारी दी।
केन्द्र की कार्यकाम सहायक दीपा इन्दौरिया ने मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा, रागी, कांगणी), सोयाबीन तथा उडद का दैनिक जीवन में उपयोग, प्रसंस्करण के बारे में विस्तृत रूप से बताया। दैनिक दिनचर्या के भोजन में चपाती अथवा रोटी का मुख्य स्थान है और विभिन्न तरह के अनाजों के आटे का प्रयोग कर रोटी का पौष्टिक मूल्य बढ़ा सकती है इससे कुपोषण पर नियंत्रण होगा, ग्रामीण परिवेश में भी कुपोषण की दर तेजी से कम होगी। भोजन हमारे जीवन का अभिन्न अंग है तथा पूर्णतया संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए इसकी पौष्टिकता मिलेट्स द्वारा बढ़ाई जा सकती है इसके द्वारा कुपोषण नियंत्रित किया जा सकता है। प्रशिक्षण के अंत में दीपा इन्दौरिया ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को कुपोषण उन्मूलन के लिए, शपथ दिलाई गई तथा धन्यवाद अर्पित किया गया।

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