वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्री रामसिंह मीणा।
चित्तौडग़ढ़।कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ़ में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया जिसमें सुखवाडा, वजीरगंज आदि गांव के 34 कृषक एवं कृषक महिलाओ ने भाग लिया।
इस अवसर पर केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सोलंकी ने कृषक एवं कृषक महिलाओं को विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में बताते हुये कहा कि दुनियाभर के तमाम देश पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। मानव और प्रकृति का गहरा नाता है। जहां प्रकृति है, वहां जीवन है और जब इसी प्रकृति को क्षति पहुंचती है तो जीवन पर भी असर पड़ता है। प्रकृति मानव के स्वस्थ जीवन के लिए बहुत कुछ देती है। बदले में मानव पर्यावरण दूषित करता है और प्रकृति का दोहन करता है। जिससे समय के साथ पर्यावरण व प्रकृति नष्ट होती जा रही है। कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं का कारण भी पर्यावरण बन सकता है। इसे संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए 5 जून को हर साल पर्यावरण दिवस मनाते हैं। जीवनदायिनी धरती को रहने योग्य बनाने के लिए पेड़ पौधों के जीवन को बचाने और पर्यावरण प्रदूषण के कारकों को कम किया जा सकता है। डॉ. सोलंकी ने कहा कि अंधाधुंध पेड़ पौधों की कटाई के कारण ऑक्सीजन की कमी हो रही है। वहीं मौसम व जलवायु चक्र भी बिगड़ रहा है। इस कारण आए दिन प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। हालांकि प्रकृति को संरक्षित रखने, ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए पेड़ पौधों की कटाई बंद करें एवं अधिक से अधिक पौधारोपण अपने आसपास करें। इस वर्ष पर्यावरण दिवस 2023 की थीम “प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान निकालना है तथा सोलंकी में उपस्थित कृषको को पर्यावरण के लिए जीवन शैली की शपथ दिलाई व कृषको को फलदार पौधे वितरित किये गये तथा केन्द्र के फार्म पर वृक्षारोपण के तहत फलदार सीताफल के पौधे भी लगाये गये। इस अवसर पर कट्स, चित्तौड़गढ़ के समन्यवक श्री महमूद गौरी ने कृषको को विश्व पर्यावरण दिवस की महत्वता पर चर्चा की एवं मिटटी, जल एवं वायु को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये प्रेरित किया।
केन्द्र की कार्यक्रम सहायक दीपा इन्दौरिया ने विश्व पर्यावरण दिवस के दौरान कृषक महिलाओं को सूखे व गीले कचरे को अलग अलग रखें ताकि उन्हे सही से व्यवस्थित किया जा सके। प्लास्टिक या पॉलीथिन का इस्तेमाल प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाता है। चूंकि प्लास्टिक को नष्ट नहीं किया जा सकता, इस कारण यह नदियों, मृदा आदि में पहुंचकर प्रदूषित करता है। ऐसे में प्लास्टिक या पॉलीथिन के उपयोग को बंद करने का संकल्प लें। इसके बजाय पेपर बैग या कपड़े के बैग का उपयोग करें। खुद पॉलीथिन के उपयोग से बचने और दूसरों को भी प्रोत्साहित करने का संकल्प लेने के लिए कहा। अन्त में प्रशिक्षण में पधारे अतिथियों एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।